The Digital Teacher : February 2021

अंतर्राष्ट्रीय संबंध - संयुक्त राष्ट्र संघ एवं उसके प्रमुख अंग

सादर नमस्कार, 
आज हम अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को जानेंगे हम जानेंगे कि लीग आफ नेशन क्या है, संयुक्त राष्ट्र संघ क्या होता है, सुरक्षा परिषद क्या है, वीटो पावर किसे कहते है परिषद की स्थायी व अस्थायी सदस्यता क्या होती है आदि। साथियों आप सभी जानते है कि विश्व के अधिकांश अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का मुख्यालय जेनेवा में ही है। यह स्विटजरलैण्ड में है जो मध्य यूरोप का एक देश है और पूरे देश का करीब 60 प्रतिशत हिस्सा आल्पस पहाड़ों से ढकी हुई है, स्विस लोगों का जीवनस्तर दुनिया में सबसे ऊँचे जीवनस्तरों में से एक है। स्विटजरलैण्ड की राजधानी बर्न है। 
राष्ट्र संघ की स्थापना कैस हुई-
1914 में प्रथम विश्वयुद्ध आरंभ हुआ था जिसमें भले ही सारे दुनिया के देश शामिल नहीं थे किंतु सभी देशों की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित जरूर हुई थी यह विश्वयुद्ध वर्ष 1918 में समाप्त हुआ था जिसे 1919 की वर्साय की संधि के द्वारा समाप्त किया गया था। इस दौरान तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने एक ऐसा अंतर्राष्ट्रीय संगठन की स्थापना की जो द्वितीय विश्वयुद्ध कभी न हो इसे लीग आफ नेशन अर्थात राष्ट्र संघ कहा गया 10 जनवरी 1920 को इसकी नींव रखी गयी। इसका काम विश्व भर में स्वास्थ्य, व्यापार व श्रमिकों की स्थिति बेहतर करना भी रहा और इन सबका मुख्यालय जेनेवा में बनाया गया। किंतु लीग आफ नेशन की सदस्यता लेने के पहले किसी भी देश को अपने संसद में प्रस्ताव पारित करना होता था और हुआ यू कि इसकी स्थापना करने वाले यूएनए को ही उसके संसद ने प्रस्ताव पारित नहीं किया कि वह इसका सदस्य बनें। इस तरह से लीग आफ नेशन अपनी मजबूती पर कायम नहीं रह सका। अब जर्मनी ने पोलैण्ड पर आक्रमण किया, वह फ्रांस के जमीन पर कब्जा जमाता गया और लीग आफ नेशन मौन साधे रही, जर्मनी ने रूस पर भी कब्जा जमाना शुरू कर दिया और इस तरह से द्वितीय विश्वयुद्ध की शुरूआत हो गयी वर्ष 1939 से 1945 तक द्वितीय विश्वयुद्ध चला। अब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रूसवेल्ट ने लीग आफ नेशन को सुधारते हुए एक मजबूत संगठन बनाया उन्होंने इसका नाम बदलकर यूएनओ यूनाइटेड नेशन आर्गनाइजेशन संयुक्त राष्ट संघ रखा। इसकी स्थापना 24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र अधिकार पत्र पर 50 देशों के हस्ताक्षर होने के साथ हुई। इसका प्रमुख उद्देश्य भविष्य में तृतीय विश्वयुद्ध को होने से रोकना है। संयुक्त राष्ट्र संघ का मुख्यालय अमेरिका के न्यूयार्क शहर में स्थित है।
यूएनओ के कुल छह अंग है-
महासभा, न्यास, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय, सचिवालय, सामाजिक एवं आर्थिक परिषद तथा सुरक्षा परिषद है। इसमें सुरक्षा परिषद को सर्वाधिक महत्वपूर्ण अंग माना जाता है। 
महासभा (General Assembly) में यूएनओ के सभी सदस्य देश शामिल है वर्तमान में 193 देश इसके सदस्य है इस एक तरह से विश्व का लघु संसद कहा जाता है। प्रतिवर्ष सितंबर माह में न्यूयार्क के मैनहैटन नामक स्थान में इसकी वार्षिक बैठक होती है। जिसमें सभी सदस्य देशों के शासनाध्यक्ष अर्थात प्रधानमंत्री शामिल होते है। इसके अध्यक्ष का कार्यकाल एक वर्ष का ही होता है भारत की पहली महिलाध्यक्ष श्रीमती विजय लक्ष्मी पंडित रही है।
यूएनओ का दूसरा अंग है न्यास (Trusteeship Council) अर्थात ट्रस्ट पूरे संगठन के खर्च चलाने के लिए कुछ देशों का समूह है जो पूरे संगठन के खर्च के लिए धन जुटाती है हमारा भारत इस पूरे खर्च का करीब एक प्रतिशत धन ही उपलब्ध कराती है।
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice) यह नीदरलैण्ड के हेग नामक शहर में है इसमें कुल 15 न्यायाधीश होते है एक न्यायाधीश का कार्यकाल 9 साल का होता है।
यूएनओ का चैथा अंग सचिवालय (Secretariat) है जो पूरे संगठन का वर्कप्लान करता है, इसका मुखिया महासचिव कहलाता है इसका कार्यकाल 5 साल का होता है। यूएनओ सचिवालय के नियम पूरे विश्व पर लागू होते है। नार्वे के त्रिगवेली यूएनओ के प्रथम महासचिव बने थे। वर्तमान में पुर्तगाल के एन्टेनियो गुटेरस यूएनओ के महासचिव है। उनके पहले बानकी मून जो कि दक्षिण कोरिया के थे इसके महासचिव रहे। मून कुल दो दो बार महासचिव रह चुके है। घाना के कोफी अन्नान भी यूएनओ के दो बार महासचिव रहे चुके है। भारत से अब तक कोई भी महासचिव नहीं बन सके है।
यूएनओ का पांचवा महत्वपूर्ण अंग है सामाजिक एवं आर्थिक परिषद (Economic and Social Council)
इसका काम पूरे विश्व में सामाजिक भेदभाव को समाप्त करना और व्यापार को बढ़ावा देना है। इसके द्वारा अनेक संगठनों की स्थापना की गयी है जैसे कि-
आईएलओ- इंटरनेशनल लेबर आर्गनाइजेशन पूरी दुनिया में श्रमिकों के हित के लिए काम करने वाली संस्था है।
एफएओ - फूड एण्ड एग्रीकल्चर आर्गनाइजेशन जो कि पूरे विश्व में खाद्यान्न व्यवस्था देखती है और जरूरतमंद देशों को भोजन उपलब्ध कराती है। इसका मुख्यालय इटली के रोम में है।
यूनेस्को- (United Nations Educational Scientific and Cultural Organization) पूरी दुनिया में शिक्षा को बढ़ावा देता है और विज्ञान के क्षेत्र में कलिंग पुरस्कार प्रदान करता है।
यूनीसेफ - (United Nations Children's Fund-UNICEF) बच्चों के हितों पर काम करने वाली  संस्था है।
यूएनओ का छठवां और सर्वाधिक महत्वपूर्ण अंग है सुरक्षा परिषद इसे पूरी दुनिया की पुलिस व्यवस्था भी कह सकते है। इसमें कुल 15 सदस्य होते है जिसमें से 5 स्थायी सदस्य होते है जबकि 10 अस्थायी सदस्य जो प्रत्येक दो साल में चयनित होते है।
अस्थायी सदस्यों के चुनाव प्रक्रिया में सबसे पहले सुरक्षा परिषद में देशों का नामांकन होता है फिर उसे महासभा में पारित करने भेजा जाता है। सुरक्षा परिषद के 5 स्थायी सदस्य देश है- यूएसए, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस व चाइना। इनके पास वीटो पावर होता है अर्थात ये किसी भी विधेयक को पारित करने या न करने के लिए स्वतंत्र है, यूएनओ के संविधान में स्पष्ट है कि यदि किसी विधेयक को इन पांच देशों में से किसी भी एक देश ने पारित नहीं किया तो वह विधेयक अमान्य हो जाता है। रूस ने अपने वीटो पावर का सर्वाधिक उपयोग किया है। भारत के काश्मीर मसले पर रूस ने वीटो लाकर हमारा साथ दिया है। इससे पूर्व भी 1971 के भारत पाक युद्ध में रूस ने भारत के पक्ष में अपने वीटो पावर का उपयोग किया था। यूएनओ का संविधान कहता है कि कोई भी देश किसी अन्य देश पर कब्जा नहीं कर सकता। उदाहरण जब सद्दाम हुसैन ने कुवैत पर कब्जा किया तो पूरी दुनिया एकजुट होकर उसे मार गिराया था। 1959 में चीन ने तिब्बत देश पर कब्जा जमा लिया था इस बीच पूरी दुनिया उसका विरोध किया था चूंकि चीन यूएनओ के सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है और उसके पास वीटो पावर है इसलिए उसके खिलाफ कोई बड़ी कार्यवाही नहीं हो सकी।
भारत के पास वीटो पावर नहीं है अर्थात वह सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य नहीं है। किंतु हाल ही में भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अस्थाई सदस्य के रूप् में 8 वीं बार चुना गया है। 192 वोटों में से भारत को 184 वोट मिले है। इसके पहले भारत वर्ष 1950-51, 1967-68, 1972-73, 1977-78, 1984-85, 1991-92 और 2011-12 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अस्थाई सदस्य रह चुका है।
भारत ने यूएनओ के एनपीटी व सीटीबीटी पर हस्ताक्षर नहीं किया और अपनी सुरक्षा के लिए परमाणु परीक्षण किया है। किंतु भारत 1945 से यूएनओ का संस्थापक सदस्य रहा है जबकि उस समय तक हमारा देश गुलाम देश था। यूएनओ लोकतंत्र का हिमायती है और भारत पूरे विश्व का सबसे प्रमुख लोकतंत्र देश है। हमारा देश यूएनओ को समय समय पर सेना भी उपलब्ध कराती है, डब्ल्यू एच ओ पोलियो की दवा और अब कोरोना वैक्सीन भी उपलब्ध करा रही है। इधर पाकिस्तान ने काश्मीर मुद्दे को यूएनओ में कई बार उठाया जिसके लिए यूएनओ ने डिक्सन आयोग का गठन किया और आयोग ने जांच कर रिपोर्ट दे दी कि यह भारत पाक का आपसी मामला है जिसका यूएनओ से कोई लेना देना नहीं है। जी-4 देशों जिसमें भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रिका व जापान शामिल है। जिसमें स्थायी सदस्यता के लिए प्रबल दावेदार हमारा भारत है। यूएनओ की अधिकारिक भाषा की बात करें तो इसमें कुल 193 सदस्य देश है जिनकी सितंबर में वार्षिक बैठके होती है किंतु सभी देशों की भाषा को इसमें मान्यता नहीं दी गयी है कुल 6 अधिकारिक भाषाएं है जिसमें अंग्रेजी, फ्रेंच, स्पेनिश, रशियन, चाइनीज (मंदारिन) व अरबी है। इसका लिखित कार्य English व French में ही होता है।


अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय हेग (नीदरलैण्ड) 


संयुक्त राष्ट्र संघ का ध्वज



 फूड एण्ड एग्रीकल्चर आर्गनाइजेशन रोम (इटली) 


संयुक्त  राष्ट्र संघ का मुख्यालय न्यूयार्क (अमेरिका)


संयुक्त  राष्ट्र संघ 








वीणा वादिनी मां सरस्वती का प्रकटोत्सव बसंत पंचमी से जीवन में होगा नये उत्साह का संचार ...

 प्राचीन भारत में पूरे साल को जिन छह मौसमों में बाँटा जाता था उनमें वसंत लोगों का सबसे मनचाहा मौसम था और इस दिन की शुरूआत बसंत पंचमी के दिन से माना जाता है जो कि इस साल 2021 में 16 फरवरी को आया है। अवसर है  फूलों पर बहार आने का, खेतों में सरसों का सोना चमकने का, जौ और गेहूँ की बालियाँ खिलने का, आमों के पेड़ों पर बौर आने का और हर तरफ रंग-बिरंगी तितलियाँ मँडराने का। आज माघ महीने का पाँचवां दिन है जिसे पुराने समय से ही बड़े जश्न के रूप में मनाये जाने की परंपरा रही है। परंपरा अबकी बार भी कायम रहेगी और विद्यादायिनी मां सरस्वती की आराधना होगी। संसार भर के ज्ञान पिपासु मानव प्रजाति चाहे वो किसी भी जाति, धर्म व संप्रदाय से हो सभी पर मां सरस्वती का वरदहस्त बना रहे आप सभी को बसंत पंचमी की मंगलमय शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए अपनी बात रखता हूं..

शिक्षक साथियों व स्नेहिल विद्यार्थियों पुराणों के अनुसार वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। यह पूजा पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर बांग्लादेश, नेपाल और कई राष्ट्रों में बड़े उल्लास से मनायी जाती है। इस दिन पीले वस्त्र धारण करते हैं। शास्त्रों में बसंत पंचमी को ऋषि पंचमी से उल्लेखित किया गया है, तो पुराणों-शास्त्रों तथा अनेक काव्यग्रंथों में भी अलग-अलग ढंग से इसका चित्रण मिलता है। सरस्वती को वागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। ये विद्या और बुद्धि प्रदाता हैं। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण ये संगीत की देवी भी हैं। बसन्त पंचमी के दिन को इनके प्रकटोत्सव के रूप में भी मनाते हैं।  

हे वाणी वरदायिनी, करिए हृदय निवास।

नवल सृजन की कामना, यही सृजन की आस।।

 

मात शारदा उर बसो, धरकर सम्यक रूप।

सत्य सृजन करता रहूं, लेकर भाव अनूप।।

 

सरस्वती के नाम से, कलुष भाव हो अंत।

शब्द सृजन होवे सरस, रसना हो रसवंत।।

 

वीणापाणि मां मुझको, दे दो यह वरदान।

कलम सृजन जब भी करे, करे लक्ष्य संधान।।

 

वास करो वागेश्वरी, जिव्हा के आधार।

शब्द सृजन हो जब झरे, विस्मित हो संसार।।

हे भव तारक भारती, वर दे सम्यक ज्ञान।

नित्य सृजन करते हुए, रचे दिव्य अभिधान।।

 

भाव विमल विमला करो, हो निर्मल मति ज्ञान।

निर्विकार होवे सृजन, दो ऐसा वरदान।।

 

विंध्यवासिनी दीजिए, शुभ श्रुति का वरदान।

गुंजित होती दिव्य ध्वनि, सृजन करे रसपान।।

 

महाविद्या सुरपुजिता, अवधि ज्ञानस्वरूप।

लोकानुभूति से सृजन, रचे जगत अनुरूप।।

शुभ्र करो श्वेताम्बरी, मन:पर्यव प्रकाश।

मन शक्ति सामर्थ्य से, सृजन करे आकाश।।

 

शुभदा केवल ज्ञान से, करे जगत कल्याण।।

सृजन करे गति पंचमी, पाए पद निर्वाण।।






अकलतरा संकुल के शिक्षकों का खिलौना शिक्षण शास्त्र पर कार्यशाला संपन्न हुआ...


नई शिक्षा नीति 2020 के महत्वपूर्ण बिंदु खिलौना शिक्षण शास्त्र (टाय पेडागाजी) पर आज 13 फरवरी शनिवार को संकुल केन्द्र अकलतरा में एक दिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला संपन्न हुआ। कार्यशाला में राष्ट्रीय नवाचारी शिक्षक श्री राजेश कुमार सूर्यवंशी ने प्रोजेक्टर पर पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के द्वारा नई शिक्षा नीति 2020 के महत्वूपर्ण बिंदूओं पर प्रकाश डालते हुए स्कूलों में बच्चों के लिए खिलौने उपलब्ध कराने और खेल-खेल में बच्चों को सीखने का अवसर प्रदान करने टाय पेडागाजी के उपायों पर विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान किया। इस दौरान स्कूल स्तर पर खिलौना बनाने एवं उनके शैक्षिक उपयोग व प्रदर्शनी करने, वर्षों पूर्व किस प्रकार के खिलौनों से खेला जाता था, इसकी जानकारी एकत्र कर उन्हें बनाने, ऐसे खिलौने जिसके माध्यम से विभिन्न विषयों को सीखने में सहयोग मिले, इको फ्रेण्डली खिलौने बनाने, संस्कृति, समाज व इतिहास की जानकारी देने वाले खिलौने, सामाजिक एवं मानव मूल्यों को विकसित करने वाले खिलौने, स्वस्थ रहने, अभ्यास, कसरत एवं खेलकूद का अवसर देने वाले खिलौने, विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चों के लिए खिलौने तथा मनोरंजन, लाजिकल थिंकिंग एवं रचनात्मक कौशल विकसित करने वाले खिलौने के संबंध में विविध जानकारी प्रदान की गयी। मास्टर ट्रेनर राजेश कुमार सूर्यवंशी ने इसके लिए समुदाय में बड़े-बुजुर्गों से चर्चा करने, स्थानीय कारीगरों से मदद लेने, कबाड़ से जुगाड़ आधारित खिलौने बनाने जैसे मुद्दों पर बातचीत की। कार्यक्रम का संचालन शैक्षिक समन्वयक श्री जयंत सिंह क्षत्रिय ने करते हुए कहा कि इन उपायों के आधार पर आगामी दिनों में संकुल स्तर पर वृहद स्तर पर स्वनिर्मित खिलौनों की प्रदर्शनी रखी जायेगी। एक दिवसीय कार्यशाला में बीआरसीसी अकलतरा श्री शैलेन्द्र सिंह बैस, संकुल प्रभारी श्री वस्त्रराज सिंह चौहान, परसाही सीएसी श्री अमरीश सिंह बैस, वरिष्ठ शिक्षक श्री छेदीलाल शर्मा, श्री असीमधर दीवान जांजगीर, श्रीमती रजनी पाण्डेय, श्रीमती रश्मि दुबे, श्रीमती निर्मला दास, श्रीमती तीरथ बाई, श्रीमती माया शर्मा, श्रीमती खलेश्वरी कश्यप, श्रीमती तारामनी केरकेट्टा, श्री ब्रजकिशोर शर्मा, श्री राजेन्द्र कश्यप, श्री दामोदर चौधरी, श्री विजय कंवर, श्री गोपाल सिंह तंवर, श्री अजय सिंह, श्री विनोद कुमार, श्री गोरेलाल खूंटे, श्री भूपेन्द्र लदेर व श्री अनिल देवांगन सहित संकुल के शिक्षकगण उपस्थित रहे।













माता उन्मुखीकरण व शिक्षिकाओं का संभाग स्तरीय कार्यशाला जांजगीर में संपन्न ...


राजीव गांधी शिक्षा मिशन जिला कार्यालय के नेतृत्व में डाईट जांजगीर में आज 12 फरवरी शुक्रवार को स्कूल रेडिनेश प्रोग्राम के तहत संभाग स्तरीय माता उन्मुखीकरण कार्यशाला व महिला शिक्षिकाओं का प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। अंगना म शिक्षा एक नई पहल के तहत आहूत इस कार्यशाला का उद्देश्य कक्षा पहली व दूसरी में जाने वाले बच्चों के पालकों का उन्मुखीकरण कार्यक्रम हेतु महिला शिक्षिकाओं को तैयार करना तथा घर पर रहकर बच्चों को बेहतर शिक्षा देने हेतु माताओं को जागरूक करना रहा।  कार्यक्रम का शुभारंभ जिला शिक्षा अधिकारी श्री के.एस.तोमर, डीएमसी श्री ब्राम्हणी, उप प्राचार्य डाइट श्री एल.के.पाण्डेय, साक्षरता मिशन जिला प्रमुख श्री संतोष कश्यप, एपीसी श्री हरिराम जायसवाल ने मां सरस्वती की पूजा अर्चना कर किया। अतिथियों का स्वागत सत्कार के बाद कार्यशाला को संबोधित करते हुए डीईओ श्री तोमर ने कहा कि कोरोनाकाल के बाद छोटे बच्चों में दक्षता लाने यह कार्यक्रम चलाया जा रहा है जिसमें बच्चों के पालकों को सीखने सिखाने के लिए तैयार किया जायेगा। कार्यक्रम को डीएमसी श्री ब्राम्हणी सहित अतिथियों ने संबोधित कर कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के संयोजक एपीसी श्री हरिराम जायसवाल ने बताया कि इसके तहत छोटे बच्चों के माताओं को विशेषकर तैयार किया जायेगा जो घर में शिक्षिका की भूमिका में सीखाने का कार्य करेंगी। कार्यशाला में प्रथम संस्था से पहुंचे प्रशिक्षकों सीमा मिश्रा, सावित्री सेन, श्री साहू व श्री वैष्णव की टीम ने बच्चों के स्तर के सरल गतिविधि आधारित प्रशिक्षण चलाकर स्कूल रेडिनेश प्रोग्राम के महत्व को बताया। कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय नवाचारी शिक्षक राजेश कुमार सूर्यवंशी ने किया। इस अवसर पर श्री योगेश चौहान, श्री कन्हैया साहू, श्री विष्णु कश्यप, श्री प्रवीण कहरा सहित राजीव गांधी शिक्षा मिशन जांजगीर के स्टाफ उपस्थित रहे। एक दिवसीय कार्यशाला में कोरबा, रायगढ़ एवं जांजगीर जिले के 72 शिक्षिकाओं सहित कुल 120 पालक, बच्चे व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने सहभागिता किया। कार्यशाला उपरांत प्रशिक्षित शिक्षिकाओं द्वारा अपने विकासखण्ड में पालकों को प्रेरित करने का कार्यक्रम चलाया जायेगा।












राष्ट्रीय आईसीटी अवार्ड के लिए जूरी टीम के समक्ष राजेश सूर्यवंशी ने दिया प्रस्तुतीकरण ...

 
शिक्षा के क्षेत्र में दिये जाने वाले सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय पुरस्कारों में से एक आई.सी.टी. अवार्ड 2018 व 2019 के लिए 5 से 11 फरवरी 2021 तक केन्द्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली (एन.सी.ई.आर.टी.) में चयन समिति की आनलाईन बैठक आहूत की गयी। जिसमें देशभर के सभी राज्यों से चयनित शिक्षकों ने अपने आईसीटी कार्यों का प्रस्तुतीकरण दिया। इसी कड़ी में मीटिंग के छठवें दिन 10 फरवरी को जिले के राष्ट्रीय नवाचारी शिक्षक राजेश कुमार सूर्यवंशी ने अपने आईसीटी कार्यों का ब्यौरा प्रस्तुत किया। 
इस दौरान शिक्षक राजेश सूर्यवंशी ने ग्रामीण अंचल स्थित जिले का पहला सरकारी डिजिटल विद्यालय के संसाधनों का परिचय देते हुए विद्यालय में अब तक अपने द्वारा किये गये नवाचारी गतिविधियों को क्रमशः प्रस्तुत किया। स्कूल में उपयोग कर रहे आईसीटी हार्डवेयर, साफ्टवेयर के बारे में जानकारी दिया। उन्होंने अपने यू ट्यूब चैनल व ब्लाग सहित आनलाईन कक्षा व गूगल फार्म से ली जाने वाली टेस्ट पेपर व आनलाईन क्विज के बारे में बताया। जूरी टीम को श्री सूर्यवंशी ने बताया कि उनका सरकारी आईसीटी विद्यालय विज्ञान प्रसार संस्थान (विपनेट) से रजिस्टर्ड है। स्कूली बच्चों के अलावा कम्यूनिटि अवेयरनेस के लिए भी काम जारी है। श्री सूर्यवंशी ने बताया कि वेस्ट मटेरियल से टीचिंग लर्निंग मटेरियल तैयार कर ब्लाक, डिस्टीक व स्टेट लेवल पर एजुकेशनल स्टाल लगाकर प्रदर्शनी किया जाता है। एनसीईआरटी दिल्ली में 1 व एससीईआरटी छत्तीसगढ़ में अब तक करीब 6 बार टीचर ट्रेनिंग लेकर जिला व ब्लाक स्तर पर मास्टर टेªनर के रूप में भी अपनी सेवाएं दे रहा हूं। साल 2017 में यूरोप के स्वीडन देश से कुछ सैलानी छत्तीसगढ़ पहुंचे थे जिनके द्वारा हमारे विद्यालय की एक्टिविटि का अवलोकन किया गया था। शिक्षक श्री सूर्यवंशी ने बताया कि सभी आनलाईन कोर्सेस मे मैं पार्टिसिपेट कर रहा हूं निष्ठा, दीक्षा, स्वयं पोर्टल, द टीचर एप्प, क्विज माई गव डाट इन, न्यूपा, चाक लिट आदि के माध्यम से 100 से भी अधिक आनलाईन कोर्स अब तक पूर्ण कर चुका हूं।  
 देश के सभी राज्यों व केन्द्रशासित प्रदेशों से चयनित शिक्षकों ने लिया हिस्सा
गौरतलब हो कि कोरोना काल की वजह से यह कार्यक्रम 5 से 10 फरवरी 2021 तक आनलाईन प्लेटफार्म जूम मीटिंग एप्प पर आहूत किया गया। जूरी मीटिंग के प्रथम दिवस 5 फरवरी को आन्ध्रा प्रदेश, गुजरात व हरियाणा। द्वितीय दिवस 6 फरवरी को तेलांगना, उत्तराखण्ड, पंजाब व बिहार। तृतीय दिवस 7 फरवरी को तमिलनाडु, असम व कर्नाटक। चतुर्थ दिवस 8 फरवरी को महाराष्ट, मिजोरम, झारखण्ड, जम्मू काश्मीर, मेघालय व मध्यप्रदेश। पंचम दिवस 9 फरवरी को उड़ीसा, पांडुचेरी, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, गोवा व मणिपुर, षष्ठम दिवस 10 फरवरी को अण्डमान व निकोबार द्वीप, केरल, छत्तीसगढ़ तथा अंतिम दिवस 11 फरवरी को उत्तर प्रदेश, दिल्ली व त्रिपुरा से कुल 280 चयनित शिक्षक-शिक्षिकाओं ने अपने आईसीटी कार्यों का प्रस्तुतीकरण दिया।

                                                                            चयन सूची   











कार्यक्रम शेड्यूल


         

लोकमाया अखबार 12 फरवरी 2021 


नवभारत अखबार 11 फरवरी 2021  


पायोनियर अखबार 12 फरवरी 2021




कोरोना काल में विद्यार्थियों में दक्षता विकास व उपचारात्मक शिक्षण का मुख्य आधार है चर्चा पत्र- राजेश सूर्यवंशी


कोरोना काल में जब विद्यालय मार्च 2020 से बंद है और डिजिटल प्लेटफार्म सहित पारा मोहल्ला व अन्य वैकल्पिक उपायों से अध्यापन जारी है। ऐसे में विद्यार्थियों को आगे की कक्षा में पहुंचाने के पूर्व उनमें अपेक्षित दक्षता का विकास एवं उपचारात्मक शिक्षण के लिए राज्य परियोजना कार्यालय समग्र शिक्षा छत्तीसगढ़ के सहायक संचालक डा.एम. सुधीश के मार्गदर्शन में जारी मासिक पत्रिका चर्चा पत्र प्रमुख आधार है। इसमें दिए गये उपायों को शिक्षक अपने विद्यार्थियों में करते हुए अपेक्षित दक्षता विकास कर सकते है। शिक्षक स्वयं को सीखने के लिए लगातार प्रेरित भी करते रहे इसके लिए विभाग द्वारा समय-समय पर वेबीनार का आयोजन किया जा रहा है जिसमें विविध शैक्षणिक गतिविधियों पर चर्चा होती है, इसमें सहभागिता करने की जरूरत है।
चर्चा पत्र को नियमित रूप से अध्ययन कर विविध शैक्षणिक गतिविधियां संपादित करने वाले राष्ट्रीय नवाचारी शिक्षक राजेश कुमार सूर्यवंशी कहते है कि कोरोना की वजह से लाकडाउन के दौरान बच्चों का सीखना जारी रखने हेतु जांजगीर-चांपा जिले के लगभग सभी विकासखण्डों में उत्साही शिक्षकों द्वारा विभिन्न वैकल्पिक माध्यमों से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। ऐसे कार्यों को विभागीय स्तर प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इसी कड़ी में पढ़ई तुहर दुआर वेबसाईट में उल्लेखनीय योगदान देने वाले शिक्षकों को विभागीय अधिकारियों द्वारा हस्ताक्षरित डिजिटल सर्टिफिकेट से सम्मानित करने का क्रम जारी है। विगत साल भर से हो रही गतिविधियों का अब आंकलन करने का समय आ रहा है। प्रत्येक शिक्षक की यह जिम्मेदारी है कि कक्षा उन्नति के पूर्व उनके बच्चों में आवश्यक दक्षताओं का विकास हो सके। इसके लिए आंकलन करना उनका सत्यापन करना और यदि विद्यार्थी में आंकलन उपरांत अपेक्षित दक्षता का विकास नहीं हो पाया तो प्रत्येक विद्यार्थी में छूट रही दक्षताओं की पहचान कर उसे उपचारात्मक शिक्षण देना हमारी जिम्मेदारी है। इस कार्य को सही तरीके से करने के लिए चर्चा पत्र बहुत महत्वपूर्ण साधन है जिसमें बिंदुवार कार्य योजना दी जा रही है। 
चर्चा पत्र के संदर्भ में शिक्षक राजेश सूर्यवंशी बताते है कि संकुलों में शिक्षकों के साथ चर्चा पत्रों का नियमित वाचन, चर्चा एवं शालाओं में उसका जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन किया जाये। अब नवगठित संकुलों में बहुत कम संख्या में स्कूल बचे हैं अतः अकादमिक गुणवत्ता संबंधी कार्यों में किसी प्रकार की ढिलाई नहीं होनी चाहिए और उपचारात्मक शिक्षण सही सही होना चाहिए यह हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने चर्चा पत्र में दिए गये बिंदूओं का उल्लेख करते हुए बताया कि-
1. प्रमुख सचिव महोदय द्वारा सभी स्तर पर अधिकारियों द्वारा लगातार मानिटरिंग की व्यवस्था जारी रखने के निर्देश दिए हैं। सभी अधिकारी अपने क्षेत्र के शत-प्रतिशत बच्चों एवं शत-प्रतिशत शिक्षकों के माध्यम से बच्चों का विभिन्न नवाचारी तरीकों से सीखना जारी रखवाएंगे।
2. संकुल समन्वयक अपनी नई भूमिका में अपने पदस्थ शाला में संकुल की अन्य बच्चों की उपलब्धि एवं शासन की गुणवत्ता संबंधी विभिन्न योजनाओं को बेहतर तरीके से लागू करते हुए आदर्श प्रस्तुत कर अन्य शालाओं के लिए प्रेरक शाला के रूप में कार्य करेंगे। इस हेतु उन्हें अपनी शाला में अधिक समय देना होगा और अन्य शिक्षकों के साथ मिलकर बच्चों की उपलब्धि में फोकस कर कार्य करना होगा। 
3. प्राचार्य, शाला संकुल के अनुमोदन से नव-गठित संकुल समन्वयक अपने संकुल की शालावार अकादमिक समर्थन देने हेतु टूर प्लान बनाएंगे एवं उस दिन पूरे समय उन स्कूल में रहकर कक्षा अध्यापन एवं अन्य कार्यों में सहयोग करेंगे। 
4. पूर्व की भांति संकुल समन्वयकों को उच्च कार्यालयों में विभिन्न प्रशासकीय कार्यों एवं सूचनाएं पहुँचाने के उद्देश्य से बिलकुल भी नहीं बुलाया जाएगा। 
5. प्रमुख सचिव महोदय के निर्देशानुसार ये स्पष्ट रूप से समग्र शिक्षा से संबंधित विभिन्न अकादमिक गुणवत्ता संबंधी कार्यों के जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन के लिए पूर्णतः जिम्मेदार होंगे। अतः इस स्ट्रक्चर से अब किसी भी तरह से अन्य प्रशासकीय कार्यों एवं सूचनाओं के आदान-प्रदान हेतु उपयोग में कदापि नहीं लाया जाए। 
6. प्राचार्य, शाला संकुल इन संकुल समन्वयकों से उनके क्षेत्र में अकादमिक गुणवत्ता लाए जाने में सहयोग के लिए पूर्णतः उत्तरदाई होंगे एवं उनके स्तर तक आने वाले विद्यार्थियों में उनकी कक्षा अनुरूप सभी लर्निंग आउटकम अच्छे से हासिल हो जाए, इस एक उद्देश्य को लेकर कार्य करेंगे ताकि निचली स्तर से आशातीत गुणवत्ता हासिल किए बिना बच्चे अगली कक्षा में चले जाते हैं इसका आरोप एक दूसरे पर लगाने का अवसर नहीं मिले क्योंकि शाला संकुल व्यवस्था में पूर्व प्राथमिक से हायर सेकन्डरी तक बच्चों की उपलब्धि में सतत सुधार की समस्त जिम्मेदारी अब शाला संकुल प्राचार्य की होगी। 
7. समस्त संकुल शैक्षिक समन्वयकों को शाला संकुल योजना के अंतर्गत स्वयं शिक्षण कार्य के अनुभव को वापस लाने के उद्देश्य से कक्षा तीसरी से पांचवी तक के बच्चों का चयन कर उनके साथ निर्धारित समय सीमा तक कार्य करते हुए उनका बेसलाइन एवं एंडलाइन साझा करना है। यह सुनिश्चित करें कि यह जानकारी सही सही भरी जाए क्योंकि इस अनुभव के आधार पर आपको जब अपने शिक्षकों को प्रशिक्षण देना होगा तभी आपको इन बच्चों के साथ कार्य करते हुए शिक्षकों को इन बच्चों की उपलब्धि का आकलन करने का अवसर देना होगा अजो इस दौरान आपके द्वारा प्रमाणित दक्षताओं की प्राप्ति की जानकारी की इस दौरान जांच कर सकेंगे।
8. संकुल समन्वयक अपने संकुल की कमजोर परिणाम देने वाली शालाओं में अधिक समय देते हुए वहां के शिक्षकों के साथ मिलकर उसे सुधारने हेतु अतिरिक्त प्रयास करेंगे। हाई एवं हायर सेकन्डरी के विषय विशषज्ञों के सहयोग से भी विभिन्न विषयों में शिक्षकों का क्षमता विकास किया जा सकेगा।
9. सभी शिक्षक चर्चा पत्र सीधे cgschool.in वेबसाईट से डाऊनलोड कर सकेंगे। अब उन्हें चर्चा पत्र का आडियो फोर्मेट भी पोडकास्ट के रूप में मिल सकेगा। संकुल के प्रत्येक शिक्षक को चर्चा पत्र का उपयोग कर अकादमिक चर्चाओं में सक्रिय सहभागिता लेनी होगी एवं विभिन्न स्तरों पर अधिकारी गण भी आगे से इसे पढ़कर जिले की शालाओं में एजेंडावार बिन्दुओं को समस्त शालाओं में अनिवार्यत लागू करेंगे। 
10. प्रमुख सचिव महोदय शीघ्र ही शाला संकुल प्राचार्य एवं समस्त संबंधित अमले के साथ शाला संकुल के माध्यम से अकादमिक गुणवत्ता लाने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों से अवगत होने एक वेबीनार लेंगे। तब तक सभी शाला संकुल प्राचार्य अपने यहाँ सभी निर्धारित कार्यों को प्रारंभ करते हुए गुणवत्ता सुधार की दिशा में कार्य जारी रखेंगे।





नवभारत दिनांक 08.02.2021


लोकसदन अखबार 09 फरवरी 2021


इस्पात टाईम्स अखबार 10 फरवरी 2021






 

स्कूलों में युवा एवं इको क्लब का अब होगा बेहतर क्रियान्वयन, गतिविधियों के संचालन हेतु गाइडलाईन व बजट हुआ आबंटित...

  
छत्तीसगढ़ राज्य के सरकारी विद्यालयों में गत वर्ष युवा एवं इको क्लब का गठन कर उनके माध्यम से विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन हेतु दिशा निर्देश जारी किये गए थे वही कोरोना काल में इस योजना को और बेहतर ढंग से क्रियान्वित करने के उपाय किये जा रहे है जिसके लिए राज्य परियोजना कार्यालय समग्र शिक्षा छत्तीसगढ़ के द्वारा 4 फरवरी 2021 को पत्र जारी कर विस्तृत दिशा निर्देश के साथ कार्यक्रम हेतु बजट की स्वीकृति दी गयी है। प्रत्येक जिले में इस कार्यक्रम की जिम्मेदारी शाला संकुल प्राचार्य को सौंपते हुए उनके माध्यम से इस कार्यक्रम की मानिटरिंग कर जारी दिशा निर्देशों एक अनुरूप समस्त निर्धारित कार्यों को सत्र में आयोजित कर विद्यार्थियों में युवा क्लब के गठन के उद्देश्य अनुरूप आवश्यक परिवर्तन लाते हुए उनके व्यक्तित्व में विकास हेतु सभी आवश्यक कार्यवाहियां सभी शालाओं के किया जाना सुनिश्चित करने की बात कही गयी है। 
छत्तीसगढ़ की समस्त शासकीय शालाओं में युवा एवं इको क्लब का गठन हेतु सुझावात्मक दिशा निर्देश
राज्य के समस्त शासकीय शालाओं में कक्षा पहली से बारहवीं कक्षा तक अध्ययन कर रहे बच्चों को आपस में जोड़ने, जिम्मेदारियों का निर्वहन करने का अनुभव लेने, विभिन्न मुद्दों पर फोकस होकर काम करने, पर्यावरण की सुरक्षा के बारे में जागरूक रहने एवं अपने समुदाय के साथ मिलकर कुछ रचनात्मक गतिविधियों के साथ-साथ अपने स्वयं के व्यक्तित्व के विकास के लिए शालाओं में युवा एवं इको क्लब का गठन किया जा रहा है जिसके लिए कुछ सुझावात्मक दिशा निर्देश आपके साथ साझा किए जा रहे हैं...
पृष्ठभूमि
हमारी शासकीय शालाओं में अध्ययन करने वाले बच्चों में गजब की सृजनात्मकता एवं ऊर्जा होती है जिसका सही तरीके से इस्तेमाल हम अपनी शालाओं में नहीं कर पा रहे हैं। किशोरावस्था से लेकर युवावस्था के दौरान इस ऊर्जा का बेहतर कार्यों में इस्तेमाल किया जाना अत्यंत आवश्यक है। परन्तु शाला में पूरे सत्र में प्रायः हमारा फोकस कक्षागत शिक्षण और अध्यापन होता है ताकि समय पर पाठ्यक्रम पूरा हो और विद्यार्थी अपने आपको परीक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार कर सकें। इस कमी को दूर करने हेतु शालाओं में युवा एवं इको क्लब का गठन करने का निर्णय लिया गया है। राज्य में पूर्व से ही उच्च प्राथमिक स्तर पर मीना मंच, बाल केबिनेट आदि का गठन कर बच्चों के माध्यम से शाला प्रबन्धन से संबंधित विभिन्न कार्य संपादित किये जा रहे थे जिसका बेहतर परिणाम हमारी शालाओं में दिखाई देने लगा है। अब हम पूरे राज्य में समस्त कक्षाओं में इस कार्यक्रम का विस्तार करते हुए इन क्लब के माध्यम से विद्यार्थियों के संवाद कौशल, अपने सेल्फ-एस्टीम एवं आत्मविश्वास को बढ़ावा देने, भीतर छुपे टेलेंट या प्रतिभा की पहचान कर उन्हें बढ़ावा देने के साथ-साथ इस कार्यक्रम से बच्चों में विभिन्न गुणों जैसे अनुशासन के विकास के साथ-साथ बच्चों के सर्वांगीण विकास में भी सहयोग देने का प्रयास करेंगे।
युवा एवं इको क्लब के गठन का उद्देश्य
शालाओं में युवा एवं इको क्लब का गठन मुख्य रूप से निम्नलिखित उद्देश्यों को लेकर किया जाएगा-
बच्चों में सृजनात्मक कौशलों एवं कल्पनाशीलता के विकास के लिए
युवावस्था में आते आते कुछ कार्यों की जिम्मेदारियां लेते हुए उसे अच्छे से सही समय में पूरा करने का अनुभव लेना
विद्यार्थियों, शिक्षकों, पालकों एवं समुदाय को आपस में मिलकर कार्य करने एक प्लेटफोर्म उपलब्ध करवाने हेतु 
शाला में उपलब्ध संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित किए जाने हेतु 
टीम भावना के साथ आपस में मिलकर काम करने की आदत का विकास 
शाला समय से अतिरिक्त समय में कुछ सजनात्मक गतिविधियों के आयोजन हेतु 
आसपास के पर्यावरण एवं प्रदूषण के प्रति संवेदनशील होकर सुधार हेत प्रयास करना
विद्यार्थियों को अपने अधिकारों एवं कर्तव्यों के प्रति जागरूक कर उन्हें एक अच्छे नागरिक के रूप में
तैयार करना प्रमुख है।
युवा एवं इको क्लब के गठन की प्रक्रिया
अपनी शाला में युवा एवं इको क्लब के गठन करने हेतु निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाएं- 
शाला के प्राचार्य प्रधानाध्यापक स्वयं इस युवा एवं इको क्लब के गठन की जिम्मेदारी ले अथवा किसी अन्य शिक्षक जो स्थानीय हो उसे इस कार्य की जिम्मेदारी देवें। 
युवा एवं इको क्लब के संचालन के लिए आपको कुछ सक्रिय एवं इच्छुक बच्चों की टीम बनानी होगी। सभी सहमत हों तो युवा एवं इको क्लब हेतु विभिन्न कक्षाओं से आप विद्यार्थियों का चुनाव कर सकते हैं। क्लब के लिए चुनाव भी आयोजित किया जा सकता है।
एक युवा एवं इको क्लब में निम्नलिखित पदों पर कार्य करने हेतु चयन किया जाएगा - 
प्रधानमंत्री     शिक्षा मंत्री     वित्त मंत्री     खेलमंत्री     
कानून एवं रक्षा मंत्री     स्वास्थ्य एवं स्वच्छता मंत्री     कृषि एवं उद्योग मंत्री 
प्रत्येक पद के लिए जिम्मेदारियां निर्धारित की जाएगी। इन जिम्मेदारियों का निर्धारण शाला स्तर पर किया जाएगा। 
प्रमुख रूप से विभिन्न पदों की जिम्मेदारियां इस प्रकार होगी-
प्रधानमंत्री
युवा एवं इको क्लब के संचालन की पूरी जिम्मेदारी का निर्वहन करना 
युवा एवं इको क्लब के प्रभारी शिक्षक एवं विभिन्न मंत्रियों के साथ समन्वय कर युवा एवं इको क्लब के काम को आगे बढ़ाना
शिक्षा मंत्री
शाला में सीखने-सिखाने के वातावरण बनाने हेतु औवश्यक सहयोग देना  
शाला में नियमित कक्षाओं का आयोजन करवाना एवं नहीं होने पर शाला प्रबन्धन समिति को सूचित करना  
बच्चों को शाला समय के अतिरिक्त सीखने हेतु आवश्यक माहौल एवं व्यवस्थाएं करना  
बच्चों को उपलब्ध अभ्यास सामग्री में सभी बच्चों से प्रदत्त कार्यों को घर पर रहकर पूरा करवाना  
पीछे छूट रहे बच्चों को उपचारात्मक शिक्षण की व्यवस्था कर सामने लाना 
शाला से बाहर एवं शाला त्यागी बच्चों को नियमित शाला से जोड़ना
वित्त मंत्री
शाला में युवा एवं इको क्लब के गठन के लिए प्राप्त बजट का प्रभारी शिक्षक के साथ उपयोग हेतु व्यवस्था 
शाला के युवा एवं इको क्लब के खाते में अधिक से अधिक बजट लाने हेतु विभिन्न स्थानीय व्यवस्थाएं 
युवा एवं इको क्लब के पास उपलब्ध बजट का क्लब के सदस्यों के सही उपयोग हेतु बेहतर व्यवस्थाएं 
शाला में उपलब्ध विभिन्न संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करना 
बच्चों के हित में अधिक से अधिक बजट का उपयोग करना 
सभी प्रकार के व्यय से संबंधित रिकार्ड को अद्यतन रखने हेतु शिक्षक को सहयोग देना 
खेलमंत्री
युवाओं के लिए शाला एवं बाहर खेल व्यवस्थाएं करना एवं खेलने के अवसर प्रदान करना 
स्थानीय स्तर पर कुछ खेलों पर फोकस कर उसमें युवाओं को आगे बढ़ने प्रोत्साहित करना 
युवाओं को मनोरंजन के लिए विभिन्न अवसर एवं संसाधन प्रदान करना 
खेलगढ़िया कार्यक्रम के माध्यम से खेलो इंडिया में अधिक से अधिक बच्चों के चयन का लक्ष्य हासिल करना
कानून एवं रक्षा मंत्री
शाला में नियमित अनुशासन बनाए रखने की दिशा में कार्य करना एवं स्व-अनुशासन हेतु प्रेरित करना  
शाला में शाला सुरक्षा एवं आपदा प्रबन्धन पर ध्यान देते हुए सुरक्षा की व्यवस्था  
विभिन्न गतिविधियों के संचालन एवं बच्चों की नियमित उपस्थिति हेतु नियम बनाकर पालन करना 
विद्यार्थियों में भेद-भाव दूर करते हुए रैंगिग एवं अन्य कुप्रथाओं से शाला को दूर रखना
स्वास्थ्य एवं स्वच्छता मंत्री 
बच्चों के नियमित स्वास्थ्य पर ध्यान देते हुए उन्हें नियमित आने पर जोर देना 
शाला परिसर के आसपास एवं व्यक्तिगत स्तर पर स्वच्छता बनाए रखने हेतु कार्य करना 
मध्यान्ह भोजन, पेयजल, शौचालय एवं कचरा प्रबन्धन हेतु समुचित व्यवस्थाएं 
समय समय पर स्वच्छता के लिए रैली एवं जन-जागरूकता अभियान का आयोजन 
कोविड एवं ऐसी विभिन्न आपदाओं से सुरक्षा हेतु आवश्यक तैयारी रखनाध् जागरूकता
कृषि एवं उद्योग मंत्री
बच्चों में कृषि एवं अन्य मेहनत वाले कार्यों के प्रति रूचि विकसित करते हुए आसपास हरियाली लाना 
कृषि एवं स्थानीय संसाधनों के बेहतर उपयोग एवं उनसे बेहतर आउटपुट के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं 
अपने साथियों को विभिन्न व्यवसायों के बारे में जानकारी देना एवं उनमें रूचि विकसित करना 
शाला में किचन गार्डन, खाद आदि बनाने की प्रक्रिया सीख कर शाला के साथ-साथ खेतों एवं घरों में भी हरियाली एवं प्रदूषण को ध्यान में रखकर जैविक खेती को प्राथमिकता देना 
शाला परिसर में स्थल के अभाव की स्थिति में खेती के लिए जमीन समुदाय से प्राप्त करने की पहल एवं छत पर खेती के लिए तकनीकी सहयोग एवं मार्गदर्शन लेकर कार्य करना 
इको क्लब के माध्यम से खेती के आधुनिक तकनीकों से परिचय प्राप्त करना एवं उनका उपयोग करना

युवा एवं इको क्लब के गतिविधियों के रिकार्डिंग रखने हेतु एक पंजी संधारित की जाएगी जिसमें गठन की प्रक्रिया एवं चयनित पदाधिकारियों का विवरण नियमित रूप से दर्ज किया जाएगा। एक बार चुनाव के बाद पूरे सत्र भर युवा एवं इको क्लब के कार्यों के संचालन की पूरी जिम्मेदारी युवा एवं इको क्लब के पदाधिकारियों की होगी। इनका कार्यकाल एक सत्र का होगा। अगले सत्र के लिए पुनः चुनावकर पदाधिकारियों का चयन किया जाना होगा।
शाला के सभी विद्यार्थी इस युवा एवं इको क्लब के सदस्य होंगे द्य यदि युवा एवं इको क्लब चाहें तो स्थानीय निवासी युवा जो किसी शाला में न पढ़ते हों या किसी अन्य निजी शाला में जाते हों उन्हें भी आप अपने युवा एवं इको क्लब में शामिल कर सकते हैं। युवा एवं इको क्लब में सदस्य के रूप में शामिल होने के लिए कुछ न्यूनतम सदस्य शुल्क आदि भी रखा जा सकता है जिसका पूरा रिकार्ड शाला की इस पंजी में रखना होगा। इस क्लब को विभिन्न हाउस या सदन के रूप में भी बांटा जा सकता है जैसे सत्यम सदन, शिवम सदन एवं सुन्दरम सदन आदि। 
वैसे इस कार्यक्रम का नाम युवा एवं इको क्लब है पर यदि शाला चाहे तो विभिन्न स्तरों पर इसकी पहचान बनाने के उद्देश्य से इस प्रकार से नाम दिया जा सकता है-
प्राथमिक स्तर पर - बाल सभा एवं इको क्लब 
उच्च प्राथमिक स्तर पर - बाल केबिनेट एवं इको क्लब 
हाई एवं हायर सेकन्डरी स्तर पर - युवा एवं इको क्लब
इन सभी स्तरों में मीना मंच, गणित-विज्ञान क्लब, शालेय सुरक्षा क्लब एवं अन्य क्लब को समाहित किया जा सकता है ताकि बहुत सारे अलग अलग क्लब की आवश्यकता न पड़े। इन क्लब के गतिविधियों को इस प्रकार के आयोजित किया जाए कि नियमित शाला की पढाई प्रभावित न हो।

युवा एवं इको क्लब के माध्यम से अपेक्षित बदलाव 
युवा एवं इको क्लब के माध्यम से यह अपेक्षा की जाती है कि हमारे युवाओं में कुछ आवश्यक बदलाव लाए जाएं। उनके सोचने, समझने एवं व्यवहार के तौर-तरीकों में अपेक्षित परिवर्तन दिखाई देना शुरू हो। शालाओं में युवा एवं इको क्लब के गठन एवं क्रियान्वयन के पश्चात हमें कम से कम इन क्षेत्रों में हमारे विद्यार्थियों में बदलाव नियमित रूप से देखना शुरू कर देना चाहिए। 

हां मैं कर सकता हूँ (Yes I Can)- युवाओं के भीतर किसी काम को कर सकने के बारे में अपने बारे में सकारात्मक सोच होनी चाहिए। मैं ये नहीं कर सकता, ये मेरे बस की बात नहीं है, ऐसे विचारों को मन से निकालकर अपने लिए कुछ बड़ा सोचना होगा और उसे हासिल कर सकने के लिए स्वयं पर विश्वास विकसित करना होगा। इसके लिए उन्हें छोटे छोटे कार्य देते हुए धीरे धीरे से उनका आत्मविश्वास बढ़ाना होगा।

आत्म सम्मान (Self-Esteem) युवाओं में कई बार उनके अपने सम्मान को विकसित किए जाने की आवश्यकता होती है। किशोरावस्था से इस अवस्था में आते समय इस अवस्था में उनके आत्मसम्मान के प्रति वे आवश्यकता से अधिक चिंतित होने लगते हैं। युवा क्लब्स के माध्यम से विभिन्न गतिविधियाँ आयोजित कर उनके आत्मसम्मान को विकसित किये जाने की आवश्यकता है।

मेरी शक्तियां (My Strengths) युवाओं को इस आयु में उनके कमजोर एवं मजबूत पक्ष के बारे में समीक्षा कर अपनी स्थिति में सुधार के लिए लगातार प्रयास करते रहने की आवश्यकता है। उन्हें यह मालूम हो जाना चाहिए कि वे किन-किन क्षेत्रों में बेहतर कर सकते हैं, किन क्षेत्रों में उनकी रूचि है और ऐसे कौन से क्षेत्र हैं जहां वे पीछे छूट रहे हैं और यदि वह क्षेत्र आगे बढ़ने के लिए आवश्यक है तो उस क्षेत्र को कैसे मजबूत किया जाए। युवा एवं इको क्लब के प्रत्येक सदस्य को अपने मजबूत एवं कमजोर पक्ष की जानकारी लेने के, चिंतन करने के, अनुभव लेने के पर्याप्त अवसर मिलने चाहिए।

समूह में कार्य (Team Work) युवा एवं इको क्लब के माध्यम से शालाओं में विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। इन गतिविधियों को सफल बनाने टीम भावना एवं एक दूसरे को सहयोग किये जाने की आवश्यकता होगी। ऐसा करते रहने से धीरे धीरे युवाओं में समूह में कार्य करने, एक दूसरे की भावनाओं को समझने एवं एक दसरे को आवश्यकता पड़ने पर सहयोग कर समह कार्य को बढ़ावा देने की दिशा में सफलतापूर्वक कार्य करने का कौशल विकसित किया जा सकता है।

समय प्रबन्धन (Time Management) जीवन में सफल होने के लिए सभी को समय प्रबन्धन का कौशल अपनाना अत्यंत आवश्यक है। विद्यार्थियों में प्रारंभ से ही समय का पालन एवं अनशासन की आदत विकसित करने की दिशा में प्रयास करते रहना चाहिए। बहुत सारे कार्यों को एक निर्धारित समय देकर उसके भीतर पूरा किए जाने हेतु अवसर देते हुए अभ्यास करते हुए समयसीमा के भीतर काम करने पर प्रोत्साहित करते रहना चाहिए।

मेरा लक्ष्य (My Goals) सभी को जितनी जल्दी हो सके अपने अपने जीवन के लिए लक्ष्य अथवा दिशा निर्धारित कर उस दिशा में आगे बढ़ने के लिए सभी आवश्यक प्रयास करते रहना चाहिए। जब तक हमारे युवाओं को अपने जीवन का लक्ष्य नहीं मालूम होगा वे सही दिशा में मेहनत नहीं कर सकेंगे और भटकने लगेंगे।

निर्णय लेने का कौशल (Decision-Taking Tkills) युवा एवं इको क्लब के माध्यम से आयोजित होने वाली विभिन्न गतिविधियों के आयोजन की जिम्मेदारी को बदल बदल कर एक दूसरे को देते हुए उन्हें विभिन्न आयोजनों को सफलतापूर्वक कराने का अनुभव लेने का अवसर देना चाहिए। ऐसा करते समय उन्हें विभिन्न अवसरों पर विभिन्न स्तरों एवं प्रकार के निर्णय लेने पड़ेंगे। ऐसे निर्णय लेकर उसके परिणाम देखते रहने से धीरे धीरे सही और मजबूत निर्णय लेने की क्षमता विकसित की जा सकेगी।

नेतृत्व कौशल (Leadership Skiils) किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिए सभी में नेतृत्व कौशल का होना अत्यंत आवश्यक है। नेतृत्व कौशल विकसित करने के अवसर हमें बचपन से ही मिलने चाहिए द्य युवा एवं इको क्लब के सदस्यों को बारी बारी से किसी जिम्मेदारी को देते हुए समूह से उन कार्यों को पूरा करवाने का अवसर देते हुए सभी में नेतृत्व कौशल विकसित करने के प्रयास करते रहना चाहिए।

सामाजिक जिम्मेदारियां (Social Responsibilities) युवाओं को समाज के साथ नजदीकी से जुड़कर अपनी जिम्मेदारियां निभानी चाहिए। पढ़ाई के दौरान केवल पुस्तकों के साथ काम करना या पढ़ते रहने के बजाय बीच बीच में समुदाय को सहयोग करने की दिशा में भी आवश्यक सहयोग प्रदान करते रहना चाहिए। युवा एवं इको क्लब को समय समय पर ऐसे आयोजन करना चाहिये जिसका सीधा सीधा सरोकार समुदाय से हो। शाला के शिक्षकों एवं प्राचार्य प्रधानाध्यापक को सभी बच्चों में इस प्रकार के बदलाव आ रहे हैं अथवा नहीं इस पर निरंतर ध्यान देते हुए अपेक्षित बदलाव लाने की दिशा में कार्य करते रहना चाहिए।

युवा एवं इको क्लब के माध्यम से किए जाने योग्य विभिन्न कार्य

शालाओं में युवा एवं इको क्लब के गठन के उपरान्त उन्हें विभिन्न कार्यक्रम एवं गतिविधियाँ तय कर उनके क्रियान्वयन के लिए कैलेंडर तैयार कर संसाधन आदि जुटाने होंगे। मुख्य रूप से युवा एवं इको क्लब के माध्यम से हम निम्नलिखित कार्यों को कर सकते हैं - 

विभिन्न विभागों के अनुसार शाला संचालन में सहयोग देना 
शाला संचालन में प्रधानमंत्री, शिक्षा मंत्री एवं अन्य मंत्रीगण मिलकर आवश्यक सहयोग प्रदान कर सकते हैं जिससे शाला में अनुशासन, स्वच्छता से लेकर बागवानी, सीखने सिखाने का बेहतर वातावरण बनाया जा सकता है। इन मंत्रियों द्वारा जिम्मेदारियां लेने से शिक्षकों को तैयारी के लिए अतिरिक्त समय मिल जाता है। इनके माध्यम से सभी शिक्षक अपनी सभी कक्षाएं समय पर लें एवं अपने पाठ्यक्रम को पूरा करें, इस पर फोकस करना होगा। विषयवार शिक्षकों की कमी होने पर स्थानीय स्तर पर समुदाय के सहयोग से बेहतर अतिथि शिक्षकों के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं करनी होगी।

खेलकूद एवं योग का आयोजन 
युवा एवं इको क्लब शाला में क्लब के सदस्यों को खेल सामग्री उपलब्ध करवाते हुए समुदाय से किसी खेल में रूचि रखने वाले युवा अथवा अनुभवी सदस्यों का सहयोग लेकर सभी को खेलने का अवसर प्रदान करना चाहिए। इसके अलावा युवा एवं इको क्लब यदि चाहे तो कुछ विशेष खेलों में अपने साथियों को दक्ष कर उन्हें विभिन्न स्तरों की प्रतियोगिताओं में सहभागिता लेने हेतु प्रोत्साहित किया जा सकता है।

सह-संज्ञानात्मक क्षेत्रों में सहयोग 
युवा एवं इको क्लब अपने क्षेत्र में आवश्यकतानुसार एवं रूचि के अनुरूप विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों यथा कर सकता है। स्थानीय लोक कलाकारों का सहयोग लेकर बच्चों को विभिन्न कलाओं का अनुभव दिलवाते हुए उनके रूचि के क्षेत्रों में आगे बढ़ने के अवसर दिए जा सकते हैं। 

सीखने में सहयोग
युवा एवं इको क्लब अपने साथियों को पढ़कर आगे बढ़ने के लिए स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार सीखने सिखाने हेतु आवश्यक व्यवस्थाएं करते हैं जैसे सीखने का उपयुक्त स्थान, क्लब के सदस्यों के समूह बनाकर सीखने के समय का निर्धारण, स्थानीय ऐसे व्यक्ति जो सिखाने के लिए रूचि लेते हों उनको साथ लेकर आगे बढ़ते हुए विशेष कोचिंग की व्यवस्था की जा सकती है। साथ ही युवा एवं इको क्लब शाला से बाहर एवं शाला त्यागी बच्चों की पहचान कर उन्हें शाला में लाने की दिशा में कार्य कर सकता है।

विभिन्न प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी
हमारे स्कूलों में विद्यार्थियों को विभिन्न प्रवेश परीक्षाओं में बैठने के अवसर मिलने चाहिए। युवा क्लब्स को विभिन्न प्रवेश परीक्षाओं की जानकारी लक्ष्य समूह को उपलब्ध कराते हुए उन्हें विभिन्न प्रवेश परीक्षाओं के लिए तैयारी करने आवश्यक संसाधन एवं व्यवस्थाएं करनी चाहिए एवं यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अधिक से अधिक बच्चे पूरी तैयारी के साथ इन परीक्षाओं में बैठे।

जीवन कौशल का विकास
इक्कीसवीं सदी में आगे बढ़ने के लिए सभी में जीवन कौशल विकसित किए जाने की आवश्यकता है। युवा एवं इको क्लब सभी सदस्यों में जीवन कौशल विकसित किए जाने हेतु आवश्यक व्यवस्थाएं करेंगे। इस हेतु प्रदत्त अभ्यास पुस्तिकाओं पर निरंतर कार्य संपन्न करवाते हुए इन कौशलों का विकास करेंगे। 

समुदाय को समर्थन
युवा एवं इको क्लब द्वारा केवल समुदाय से सहयोग लेने के बदले समुदाय को भी विभिन्न अवसरों जैसे बाजार, त्यौहार, खेती-बाडी, श्रमदान, ट्रेफिक व्यवस्था में योगदान, खेती की उन्नत तकनीक. बड़े-बुजुर्गों को साक्षरता की कक्षाएं, कम्यूटर एवं तकनीकी ज्ञान, घर पर शौचालय बनाना, खेती में उन्नत तकनीक, जैविक खेती, गोबर से कम्पोस्ट खाद बनाने की तकनीक, रूफ वाटर हार्वेस्टिंग में तकनीकी सहयोग, मृदा परीक्षण, स्वास्थ्य विभाग से समन्वय कर बड़े-बुजुर्गों एवं बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण आदि में आवश्यक सहयोग कर सकेंगे। 

ग्रामीण व्यवस्था में सुधार
हमारे अधिकाँश स्कूल ग्रामीण इलाकों में स्थित हैं और बच्चे भी ग्रामीण परिवेश से आते हैं जो मुख्यतः कृषि पर निर्भर होते हैं। शाला आने वाले बच्चों के माध्यम से हम परिवार को कृषि के लिए आवश्यक जानकारी एवं शासकीय योजनाओं की जानकारी भी देने का कार्य कर सकते हैं। नाली के माध्यम से खेतों में पानी, पानी के स्रोतों को बचाने हेतु तकनीकें, गायों को एक जगह रहने की व्यवस्था कर उससे जुड़े विभिन्न प्रक्रियाओं जैसे गोबर की खाद का खेती में उपयोग, जैविक खेती, जल संरक्षण, गोबर गैस से बिजली की व्यवस्था एवं घरों की बाडी में सब्जी उगाते हुए गाँव के भीतर ही सुदृढ़ अर्थव्यवस्था लागू करते हुए बाहर शहरों में निर्भरता को कम करने का प्रयास किया जाना होगा। इस हेतु युवा एवं इको क्लब अपने सदस्यों के माध्यम से व्यापक प्रयास कर सकते हैं। 

आसपास के पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता
सभी शालाओं में गठित युवा दल अपने कृषि एवं उद्योग मंत्री के नेतृत्व में एक इको क्लब का गठन करेगा। इस क्लब द्वारा स्थानीय पर्यावरण को ध्यान में रखकर उसे बचाने की दिशा में आवश्यक सहयोग प्रदान करेगा। इको क्लब द्वारा आसपास की खोज, नदियों एवं तालाबों का अध्ययन, गन्दगी से होने वाली बीमारियों से बचाव, स्वच्छ पेयजल एवं स्वच्छता का महत्व के प्रति जागरूक करना, पानी बचाने घरों में जाकर नलों को चेक कर लीक होने वाले नलों को बदलने की दिशा में प्रयास, आसपास पेड़ लगाना, उसे नियमित पानी देने पाली बाँधना। प्रकृति का अध्ययन करने हेतु नेचर वाक, पालीथीन पर रोक एवं अन्य विकल्पों को खोजना, विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों की जानकारी देते हुए उसे रोकने के उपायों पर चर्चा, क्विज एवं गतिविधियों के आयोजन के साथ साथ जागरूकता हेतु विभिन्न प्रतियोगिताएं आदि भी आयोजित करवाए जा सकते हैं। 
ये केवल सुझावात्मक कार्य हैं और आपका युवा एवं इको क्लब चाहें तो सीखने सिखाने एवं जीवन कौशल विकास से संबंधित अन्य कई गतिविधियाँ भी आयोजित कर सकते हैं।

युवा एवं इको क्लब के गठन की तैयारी
युवा एवं इको क्लब के गठन के लिए विभिन्न स्तरों पर जुड़े हितग्राहियों यथा शिक्षक, बच्चे, पालक, समन्वयक एवं स्थानीय स्तर अधिकारियों के साथ साथ इच्छुक समुदाय के सदस्य भी शामिल हो सकते हैं। इस सबके समर्थन से शाला में युवा एवं इको क्लब का गठन किया जाए एवं सभी को उसके गठन के उद्देश्यों की जानकारी दी जाए सभी शालाएं अपने अपने शाला में गठित युवा एवं इको क्लब के लिए कोई अच्छा सा नाम सोचकर उसे रख लेंगे ताकि सभी स्तरों में विशिष्ट युवा क्लब का गठन कर उसका प्रचार-प्रसार किया जाए। इसके साथ साथ ही युवा एवं इको क्लब के लिए स्थानीय स्तर पर कुछ फोकस कार्यों की पहचान कर उनकी संप्राप्ति के लिए आवश्यक प्रयास किए जाएं। फोकस कार्यो में कुछ विशिष्ट खेल, खेती-बाड़ी, कौशल आदि भी हो सकते हैं। युवा एवं इको क्लब सहमति के आधार पर चयनित गतिविधियों के लिए वार्षिक कैलेण्डर तैयार कर तदनुसार काम कर सकते हैं। शाला अपने युवा एवं इको क्लब के संचालन के लिए विभिन्न स्तरों पर हितग्राहियों से सहयोग ले सकती है। युवा एवं इको क्लब में विभिन्न बैठकों के आयोजन उपरान्त संधारित करने हेतु रजिस्टर होना चाहिए। 
इस सत्र में युवा एवं इको क्लब के माध्यम से किये जाने हेतु कुछ अनिवार्य कार्य
इस सत्र में निम्नलिखित गतिविधियों को आवश्यक रूप से सभी शालाओं के युवा एवं इको क्लब के माध्यम से आयोजित किया जाए-
1 सभी मंत्रियों एवं पदाधिकारियों को अलग पहचान देने हेतु पहचान पत्र 
2 शाला में नियमित कक्षा अध्यापन एवं पाठ्यक्रम को समय पर पूरा किये जाने हेतु आवश्यक व्यवस्थाएं 
3 राज्य स्तरीय आकलन के परिणामों को सार्वजनिक करते हुए प्रत्येक विद्यार्थी के सुधार हेतु शाला स्तर पर कार्ययोजना एवं समुदाय के सहयोग से अतिरिक्त कक्षा शिक्षण 
4 समुदाय को रेन-वाटर हार्वेस्टिंग, प्रदूषण, जैविक खेती, गोबर से कम्पोस्ट खाद बनाने, किचन गार्डन, कोचिंग कक्षाओं के संचालन में सहयोग लेने हेतु बैठके 
5 क्लब की गतिविधियों को एक दूसरे से साझा करने हेतु राज्य स्तर से निर्धारित किसी सोशल मीडिया का उपयोग करते हुए एक प्लेटफोर्म में विभिन्न जानकारियों को साझा करना 
6 क्लब की गतिविधियों की जानकारी लेने एवं विद्यार्थियों में पठन कौशल विकास हेतु बाल पत्रिकाओं का नियमित सब्सक्रिप्शन लेकर उसका उपयोग करना 
7 एक दूसरे से सीखने के लिए विभिन्न प्रतियोगिताओं के आयोजन एवं एक्सपोजर भ्रमण के अवसर उपलब्ध करवाना 
8 ग्रीष्मावकाश के दौरान विद्यार्थियों को सक्रिय रखने हेतु समर कैम्प के माध्यम से विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन करना
9 गाँव में पर्यावरण एवं स्वच्छता की जानकारी लेने एवं देने के उद्देश्य से नेचर वाक, नदी एवं तालाबों के किनारों का भ्रमण एवं गन्दगी के क्षेत्रों व कारणों का पता कर सुधार हेतु आवश्यक प्रयास 
10 अपने युवा एवं इको क्लब के माध्यम से किये जा रहे विभिन्न कार्यों का दस्तावेजीकरण कर साझा करना

इस कार्यक्रम से अपेक्षित आउटकम
शालाओं में उपलब्ध संसाधन- खेल का मैदान, खेल सामग्री, शाला पुस्तकालय का अधिकतम उपयोग, बच्चों की रूचि शौक का विकास, आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी एवं जिम्मेदारी की भावना।
प्रत्येक शाला में यूथ क्लब के माध्यम से किसी एक विशिष्ट गतिविधि का चयन कर उसमें विशेषज्ञता की तरफ लक्ष्य लेकर कार्य करना जैसे म्यूजिकल क्लब, किसी एक खेल के लिए टीम व लोक कला

युवा क्लब के लिए बजट
राज्य में प्रत्येक विद्यालय को युवा क्लब के गठन के लिए प्राथमिक स्तर पर पांच हजार रुपए प्रति प्राथमिक शाला, पन्द्रह हजार प्रति उच्च प्राथमिक शाला एवं पच्चीस हजार प्रति हायर सेकन्डरी स्तर स्वीकृत किये गए हैं। इसमें से प्रथम किश्त के रूप में कुल स्वीकृत बजट का साठ प्रतिशत सभी शालाओं को उनके खाते में भेज दिया गया है। इसके तहत प्रत्येक प्राथमिक शाला को तीन हजार रूपए, उच्च प्राथमिक शाला को नौ हजार रूपए एवं हायर सेंकडरी शालाओं को पन्द्रह हजार रूपए पहले किश्त के रूप में सीधे उनके खाते में उपलब्ध करवाया जा रहा है। इस स्वीकृत बजट की द्वितीय किश्त कार्य संपादन के गुणवत्ता के आधार पर मार्च के पहले भेजा जा सकेगा अतः इस दिशा में उपलब्ध बजट से बेहतर से बेहतर कार्य करना तत्काल प्रारंभ करने के निर्देश मिले है। क्लब के गठन के बाद इसे आगे चलाने हेतु आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता एवं बजट बनाए रखने हेतु सभी आवश्यक व्यवस्थाएं करनी होंगी। उपलब्ध बजट से विभिन्न प्रकार की गतिविधियों के लिए बजट की सुझावात्मक सीमा का निर्धारण करना होगा। यह इस प्रकार से हो सकता है-
गतिविधि यवा क्लब के लिए आवश्यक संसाधन हेतु 15 प्रतिशत, स्थानीय स्तर परविभिन्न कैम्पेन हेत 5 प्रतिशत, खेल-कूद एवं विभिन्न प्रतियोगिताओं के लिए 20 प्रतिशत, सांस्कृतिक एवं अन्य कार्यक्रमों के आयोजन हेतु 20 प्रतिशत, इको क्लब से संबंधित गतिविधियों/ बाल पत्रिका के लिए 20 प्रतिशत, अकादमिक समर्थन देने हेतु 15 प्रतिशत एवं कार्यक्रम की मानिटरिंग व एक्सपोजर भ्रमण हेतु 5 प्रतिशत राशि होगा। 

युवा क्लब की मानिटरिंग 
राज्य एवं विभिन्न स्तरों से इस कार्यक्रम के क्रियान्वयन के मानिटरिंग के लिए टेक्नोलोजी का उपयोग कर आवश्यक व्यवस्थाएं करते हुए बेहतर कार्य कर रहे युवा क्लबों को पुरस्कृत करते हुए उनका दस्तावेजीकरण का कार्य भी किया जाएगा। इस कार्यक्रम के क्रियान्वयन की पूरी जिम्मेदारी हायर सेकन्डरी स्तर के प्राचार्य की होगी। उनके नेतृत्व में उनके अधीनस्थ आने वाली सभी प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक शालाओं में युवा एवं इको क्लब के गठन की नियमित मानिटरिंग एवं दिशा निर्देशों के अनुरूप विभिन्न कार्यों को समय पर पूरा किये जाने हेतु मानिटरिंग एवं फीडबैक का आयोजन किया जाएगा।
सभी विद्यालय प्रमुखों से सादर आग्रह है इस गतिविधि को बेहतर ढंग से जरूर संपादित करें।
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