The Digital Teacher : September 2021

शिक्षकों की प्रेरणा, प्रयास व प्रतिबद्धता को प्रोत्साहित करने का दिन है ‘शिक्षक दिवस’


सम्माननीय शिक्षक साथियों सादर नमस्कार,



साथियों हरेक छात्र के जीवन में शिक्षक का बहुत अहम योगदान होता है और एक छात्र हमेशा अपने गुरु का सम्मान करता है। शिक्षकों के योगदान को देखते हुए उनके सम्मान में हर साल पांच सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरुआत साल 1962 में हुई थी। शिक्षक दिवस के अवसर पर मैं राष्ट्रीय नवाचारी शिक्षक राजेश कुमार सूर्यवंशी पूरे राज्य भर के शिक्षकों व विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देेते हुए एक बेहतर शिक्षक बनकर सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के बेहतरी के लिए समर्पित होने की अपील करता हूं। आज मैं अपने उन सभी शिक्षकों को याद कर रहा हूं जिन्होंने मेरे जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव लाने में अहम भूमिका निभाई है। इसी बात के साथ मैं आज अपनी बात आरंभ कर रहा हूं, आप सभी को ‘शिक्षक दिवस‘ की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाइयां। आज 21 वीं सदी के वर्तमान दौर में शिक्षकों का कार्यक्षेत्र काफी चुनौतीपूर्ण हो चुका है और इस भूमिका का निर्वाह जिस शिद्दत के साथ हमारे शिक्षकगण कर रहे हैं वह तारिफ ए काबिल है। शिक्षा के क्षेत्र में होने वाले तमाम सकारात्मक बदलाव आप और हम जैसे शिक्षकों के प्रयासों, प्रतिबद्धता और आंतरिक रूप से प्रेरित होकर काम करने का ही परिणाम है। हमारे शिक्षक साथियों ने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी अच्छा काम करके अपनी क्षमता का परिचय दिया है। आज जरूरत इस बात कि है कि हम आपस में एक-दूसरे के छोटे-छोटे सार्थक प्रयासों को प्रोत्साहित करते रहे ताकि हमारे काम करने की ऊर्जा और उत्साह सतत बना रहे। हमें एक दूसरे को प्रोत्साहित करने की संस्कृति का विकास करना है ताकि हमारा काम करने फोकस बना रहे। एक शिक्षक के रूप में हमारे मन में छात्रों को अच्छी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का लक्ष्य सदैव सर्वाेपरि रहे। काम करने की स्वतंत्रतता, निर्णय की आज़ादी और शिक्षकों को गैर अकादमिक कार्यों से मुक्त करने के साथ आवश्यक संसाधन सरकारी स्कूलों की व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने की दिशा में मील का पत्थर हो सकता है। यदि ऐसा होता है तो हम शिक्षकों को शिक्षा के सबसे महत्वपूर्ण केंद्र बच्चों के ऊपर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलेगी। विभिन्न शैक्षिक और सह-शैक्षिक गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी से भी बेहतर माहौल बनाया जा सकता है।
                        आज के दौर में बच्चों पर विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होने, अच्छे नंबर लाने और बड़ों की हर अपेक्षा पर खरे उतरने का दबाव है। ऐसे में प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से उनके खिलाफ होने वाली हिंसा भी बढ़ रही है, ऐसे में समाज हम शिक्षकों की ओर उम्मीद भरी नज़रों से देख रहा है कि हम ऐसी स्थितियों से उन्हे उबारे। हमें अभिभावकों के भरोसे पर खरा उतरने की जरूरत है ताकि पालक बालक और शिक्षक से मिलकर चलने वाला स्कूल को समुदाय में अच्छा माहौल मिल सके। हम सबकी यह प्राथमिकता होनी ही चाहिए कि प्रत्येक बच्चे के भीतर हम कम से कम पढ़ना-लिखना और अपने जीवन की समस्याओं पर सोचना, समाधान करने के लिए पहल करना, आत्मविश्वास के साथ अपनी बात कहना, धैर्य के साथ अपने साथियों और बड़ों को सुनने जैसी बुनियादी क्षमताओं का विकास कर सकें।
                    हम आये दिन कई स्कूलों व शिक्षकों की सफलता की कहानी सुनते देखते रहते है। इससे समाज में साफ संदेश जाता है कि सरकारी स्कूलों की दशाएं बदल रही है और हमारे सरकार की तरफ से भी शिक्षा में बदलाव की दिशा में ऐसे प्रयासों को काफी गति मिल रही है। इन तमाम परिस्थितियों हम सभी शिक्षक एक उम्मीद तो कर ही सकते हैं कि हमारे बहुत से शिक्षक साथी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी अच्छा काम कर रहे हैं। यह काम सच्चे अर्थों में राष्ट्र के निर्माण का काम है। देश के हित का काम है। ऐसे काम के लिए किस के दिल में आपके लिए सम्मान की भावना नहीं होगी। हम सभी इस बात से अवगत है कि वर्तमान में सरकारी स्कूलों के खिलाफ दुष्प्रचार अपने चरम पर है, मगर हमारे नवाचारी शिक्षकों की बढ़ती तादात लगातार ऐसे उदाहरण सामने रख रहे है जिससे सरकारी स्कूलों के प्रति लोगों में सम्मान की भावना जागृत हो रही है।
                        आमतौर पर हम दो प्रकार के जीवन जीते है एक सार्वजनिक व दूसरा नीजि जीवन मैंने अपने शिक्षकीय जीवन में यह अनुभव किया है और कर रहा हूं कि हमारे कुछ शिक्षक साथी अपनी निजी समस्याओं को सार्वजनिक बनाने के अवसर तलाशते रहते है। हमें ऐसी नीजि समस्याओं को प्रमुख मुद्दा बनाने से बचना चाहिए क्योंकि इसका सीधा असर बच्चों की शिक्षा पर पड़ता दिखता है। स्कूल के समय में हम अपना समय केवल बच्चों के लिए व्यतीत करें ताकि बच्चों की शिक्षा और उनके जीवन के सबसे रचनात्मक लम्हों को हम  सामाजिक बुराइयों बचा सके, तभी हम सच्चे अर्थों में अपने शिक्षक होने की सार्थकता को साबित कर पाएंगे।
                            हम शिक्षकों के कारण ही यह संसार आज एक बेहतर संसार है। नई पीढ़ियों को बनाने में शिक्षकों का बड़ा योगदान है। किंतु हमारी आज की पीढ़ी के मन में शिक्षकों के लिए वह सम्मान नहीं है जो पूर्व में हमारे शिक्षकों के प्रति हमारी पीढ़ी में होता था। डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने सामाजिक जीवन के साथ एक शिक्षक के तौर पर असंख्य छात्रों को ज्ञान दिए। हर व्यक्ति की सफलता के पीछे शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, जो कई तरीकों से छात्रों को मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। आज शिक्षक दिवस के मौके पर मैं सरकारी स्कूल में शिक्षा को बेहतर बनाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहता हूं कि कोई भी शिक्षक नियमित अभ्यास, प्रशिक्षण, अनुशासन व दृढ़ संकल्प से उत्कृष्ट शिक्षक बन सकता है। हमारा यह दायित्व बनता है कि कोरोना संकट में बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो। उन्हें ऊर्जावान बनाएं रखने के लिए हमें समय-समय पर नवाचारी शैक्षणिक गतिविधियां जारी रखना होगा जिससे उनका उत्साहवर्धन होता रहे और उनकी पढ़ाई निरंतर जारी रहे। 
                            हमारे स्कूलों में कई विद्यार्थी ऐसे होते है जिन्हे स्कूल जाना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता जबकि कुछ बच्चे बड़ी प्रसन्नता से विद्यालय जाते हैं इसका एकमात्र कारण केवल पढ़ाई ना करने की इच्छा नहीं है, बल्कि कई अन्य कारक होते हैं जिससे बच्चे स्कूल जाने की प्रति अनिच्छा व्यक्त करते हैं, और अगर जबरदस्ती चले भी जाए, तो पूरे दिन उदास रहते हैं। ऐसे में यह हम शिक्षकों व अभिभावकों का कर्तव्य है कि बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत बनाया जाए। उन्हें परिस्थिति से डरने ना दें और उनके विचारों को इतना मजबूत बनाएं, कि वह खुद शिक्षक से शिकायत कर सकें। एक बार बच्चा परिस्थिति का सामना करना सीख गया, तो वह स्कूल के प्रति सकारात्मक होने लगेगा। शिक्षकों को चाहिए कि वे कक्षा में बुद्धिमान बच्चों की ही प्रशंसा न करें अपितु सभी बच्चों का मनोबल बढ़ाएं जिससे वे खुद को लेकर आत्मविश्वासी बने रहे। हम बच्चों को यह सिखाएं कि वे खुद पर विश्वास रखें और हीन भावना मन में ना आने दे। अपनी कमजोरियों को भी आत्मविश्वास के साथ स्वीकार करें, और अपनी क्षमताओं पर भी भरोसा रखें। हर विद्यार्थी यह मानें कि वह अपने आप में बहुत खास हैं। मैं शिक्षकों व विद्यार्थियों से अपील करता हूं कि हम खुद को सक्रिय बनाएं हम ऐसी क्रियाओं में स्वयं को संलग्न करें, जिनमें हमारी सक्रियता बढे। सुबह पैदल चले, शारीरिक कार्य करें, खेल आदि का अभ्यास करें। इससे हमारी आलसी प्रवृत्ति बदलेगी और हम सक्रिय हो पाएंगे। हम कक्षा में बच्चों को रटने की जगह सीखने की प्रक्रिया पर बल दे, हमारे बच्चे जो भी पढ़ रहे हैं उससे रटे नहीं बल्कि समझे कि पाठ में आपको क्या समझाया जा रहा है। एक बार जब विषय वस्तु आपके समझ में आ जाएगी तब विद्यार्थी उससे संबंधित प्रश्नों को हर तरह से हल कर पाएंगे। बतौर शिक्षक हमें कक्षा में बच्चों को साफ सुथरी व स्पष्ट लिखावट में मदद करनी चाहिए। हम उन्हें सिखाए कि स्वच्छ, सुंदर और सुडौल अक्षर का निर्माण, अक्षर, शब्द और वाक्य से वाक्य के बीच की दूरी को ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है। वाक्य की बनावट भी ठीक होनी चाहिए। साथ ही उसमें व्याकरण संबंधी कोई त्रुटि ना हो। बच्चों का मानसिक विकास के साथ ही शारीरिक विकास बहुत आवश्यक है, हमें स्कूलों में खेलकूद की गतिविधियों को भी समय-समय पर आहूत करना चाहिए क्योंकि खेल से मिली हार उन्हें जीवन में चुनौतियों का सामना करने एवं हार स्वीकार करने के लिए मानसिक रूप से तैयार करती है। खेल के दौरान गिरना एवं चोट लगना उनके दर्द सहने की क्षमता को बढ़ाता है, उन्हें अधिक सहनशील बनाता है।

आप सभी शिक्षकों को शिक्षक दिवस 5 सितंबर 2021 की पुनः मंगलमय शुभकामनाएं



शिक्षक दिवस के अवसर पर लोकमाया अखबार में प्रकाशित मेरा लेख ...




जांजगीर-चांपा जिला शिक्षा गौरव पुरस्कार से सम्मानित हुए राजेश कुमार सूर्यवंशी ... 
आज 5 सितंबर शिक्षक दिवस के अवसर पर जिला मुख्यालय जांजगीर में प्रयास कैरियर अकादमी द्वारा आयोजित शिक्षक दिवस सम्मान समारोह में राष्ट्रीय नवाचारी शिक्षक राजेश कुमार सूर्यवंशी को जांजगीर-चांपा विधायक नारायण प्रसाद चंदेल ने शाल, श्रीफल व मोमेंटों से सम्मानित किया। इस समारोह में सेवानिवृत्त प्राचार्य, बीईओ नवागढ़ सहित जनप्रतिनिधि अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इस दौरान जिले भर से कुल 11 नवाचारी शिक्षकों सहित उपस्थित सेवा निवृत्त शिक्षकों का सम्मान किया गया। अपने मंचीय उद्बोधन में विधायक श्री चंदेल ने नवाचारी शिक्षक श्री सूर्यवंशी के विद्यालयीन गतिविधियों की सराहना करते हुए कहा कि छोटे से गांव में डिजिटल स्कूल और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में शिक्षक द्वारा किया जा रहा प्रयास अत्यंत सराहनीय है। विदित हो कि वर्ष 2017 में विधायक श्री चंदेल ने नवाचारी शिक्षक के स्कूल नवापारा (अमोदा) पहुंचकर उनके किये जा रहे कार्यों का अवलोकन किया था। शिक्षक श्री सूर्यवंशी ने इस सम्मान के लिए प्रयास कैरियर अकादमी के पूरे टीम का आभार व्यक्त किया है। 




लोकमाया अखबार में प्रकाशित खबर 



नवभारत अखबार में प्रकाशित खबर





  

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