The Digital Teacher : February 2022

लर्निंग लास की भरपाई करने 1 मार्च से 14 मई 2022 तक स्कूलों में चलाया जायेगा विशेष अभियान...


 राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों की उपलब्धि में सुधार हेतु  एक विशेष कार्यक्रम (Learning Recovery Program) की महती आवश्यकता है । इस हेतु विकासखंड को क्रियान्वयन की इकाई मानते हुए राज्य के प्रत्येक विकासखंड में उपरोक्त निर्धारित तिथियों के बीच राज्य से जारी दिशानिर्देश एवं स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर अपने अपने विकासखंड में इस कार्यक्रम को क्रियान्वित कर परिस्थितियों में सुधार लाया जाना है । इस हेतु राज्य स्तर में निम्नलिखित उपाय किए जाने होंगे , इसके अलावा आप अपने जिले एवं विकासखंड स्तर पर इसके लिए माइक्रो - प्लानिंग कर सकेंगे 

 छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा बच्चों की लर्निंग रिकव्हरी के लिए वर्तमान सत्र में निम्नानुसार परिवर्तन किया गया है राज्य में पूर्व के वर्षों में 1 मई से 15 जून तक कुल 46 दिनों का ग्रीष्मकालीन अवकाश दिया जाता था द्य इस वर्ष कोरोना लाकडाउन की वजह से स्कूल लंबी अवधि तक बंद रहे हैं । इसलिए अब इस सत्र में ग्रीष्मावकाश दिनांक 15 मई से 15 जून तक कुल 32 दिनों का किया गया है ।  वर्तमान शैक्षणिक सत्र को 31 मार्च के स्थान पर 30 अप्रैल तक बढ़ाया गया है । आगामी शैक्षणिक सत्र को 1 मई से 15 दिन के अतिरिक्त शैक्षणिक कार्य हेतु प्रारंभ किया जाने का निर्णय लिया गया है । ऐसी स्थिति में हमारे पास 1 मार्च से 14 मई तक 74 दिनों में से लगभग 60 दिनों का समय शाला में सीखने - सिखाने हेतु उपलब्ध हो सकेगा । इस हेतु हमें निम्नलिखित बिन्दुओं पर विचार कर शिक्षकों के बड़े समूहों में प्रत्यक्ष चर्चा एवं बेबीनारों के माध्यम से आम सहमति से एक ठोस योजना बनाकर उसका क्रियान्वयन करना होगा। 

  जिला विकासखंड एवं संकुल स्तर पर शिक्षकों , शाला प्रबन्धन समिति एवं पालकों के साथ प्रत्यक्ष एवं आनलाइन वेबीनारों का आयोजन कर इस अवधि का बेहतर से बेहतर उपयोग किए जाने हेतु निम्नलिखित बिन्दुओं पर चर्चा / ब्रेन स्टोमिंग कर निर्णय लिया जाए -

1. कोरोना लाकडाउन से बच्चों में हुआ सीखने में नुकसान (learning loss)  
2. लाकडाउन के दौरान बच्चों की दिनचर्या , व्यवहार में बदलाव 
3. स्कूलों में बच्चों के सीखने में हुए नुकसान की भरपाई (learning recovery) हेतु विशेष कार्यक्रम हेतु सुझाव 
4. समुदाय एवं पालकों की ओर से बच्चों के सीखने में सहयोग हेतु प्रस्ताव

 पढ़ाई तुंहर दुवार 2.0 के अंतर्गत इस अवधि में बच्चों की  सनिंग रिकव्हरी के लिए विभिन्न कार्यक्रमों को डिजाइन करने की जिम्मेदारी राज्य के सभी विकासखंड शिक्षा अधिकारियों को दिया जाना प्रस्तावित है । उनके द्वारा राज्य स्तर से निर्धारित कुछ विशेष कार्यक्रमों के साथ-साथ अपने विकासखंड स्तर पर भी स्थानीय परिस्थितियों एक आधार पर विशेष योजना बनाकर क्रियान्वयन किए जाने का अवसर दिया जाएगा।

 इस बडी हुई अवधि में बच्चों के आकलन के बदले उनके सीखने पर फोकस किया जाएगा और उन्हें एक दूसरे से सीखने हेतु पर्याप्त अवसर दिए जाएंगे द्य इस अवधि में उपस्थिति अनिवार्य नहीं होगी पर सभी बच्चों को इन विशेष कक्षाओं में नियमित उपस्थित होने हेतु बच्चों एवं पालकों को प्रोत्साहित किया जाएगा 

  कक्षा संचालन का समय भी शाला प्रबन्धन समिति एवं पालकों के अभिमत के आधार पर तय किया जाएगा । सीखने में सहयोग हेतु पूर्व की भांति समुदाय से शिक्षा सारथी के रूप में सहयोग प्रदान किया जाएगा । बच्चों को एक दूसरे से सीखने , छोटे - छोटे समूह में बैठकर सीखने पर जोर दिया जाएगा । पालकों को भी शाला अवधि के अलावा घर पर भी पढाई में ध्यान देने हेतु आवश्यक माहौल बनाया जाएगा। 

  राज्य में NIC के सहयोग से विकसित टेली - प्रेक्टीस के माध्यम से अधिक से अधिक ऐसे बच्चों को शामिल किया जाएगा जिनके पालकों के पास स्मार्ट फोन है ताकि उन्हें घर पर रहकर टेक्नोलोजी का उपयोग कर अभ्यास करने का अवसर उपलब्ध करवाया जा सके द्य टेली - प्रेक्टीज का उपयोग अभ्यास के साथ - साथ बच्चों के आकलन के लिए भी किया जा सकेगा । 

 अकादमिक निरीक्षण व्यवस्था को कडाई से लागू किया जाएगा और निरीक्षण का पूरा फोक्स बच्चों की उपलब्धि में सुधार किया जाना होगा । इस हेतु विभिन्न स्तरों पर स्कूलों के निरीक्षण हेतु निर्धारित कोटे के अनुसार निरीक्षण कर सुधार कार्य किया जाना आवश्यक होगा अच्छे कार्य कर रहे शिक्षकों को प्रोत्साहित किए जाने की भी व्यवस्था की जाएगी । 

  कार्यक्रम के क्रियान्वयन हेतु जिले , विकासखंड एवं संकुल स्तर पर प्रोफेशनल लर्निंग कम्युनिटी को सक्रिय किया जाएगा और उनके माध्यम से सभी शिक्षकों की मेंटरिंग की सुविधा देते हुए कार्यक्रम के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी दी जाएगी ।

  शिक्षकों के प्रोफेशनल लर्निंग कम्युनिटी के माध्यम से स्थानीय स्तर पर सीखने में सहयोग हेतु सामग्री विकसित की जाएगी । शिक्षक सोशल  मीडिया से जुड़कर एक दूसरे से सीखने में आवश्यक सहयोग ले सकेंगे 

 छोटे बच्चों की माताओं को घर पर रहकर बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था करने एवं उन्हें आंगनबाड़ी के साथ जोड़कर सीखने पर फोकस कर सहयोग किए जाने हेतु प्रत्येक बसाहट में स्मार्ट माता की पहचान कर उन्हें प्राथमिक शालाओं में कार्यरत महिला शिक्षिकाओं के सहयोग से उनके मार्गदर्शन में  अंगना म शिक्षा कार्यक्रम संचालित किया जाएगा । यह कार्यक्रम पूर्व प्राथमिक से लेकर कक्षा दूसरी के बच्चों के लिए लागू किया जाएगा । 

  बच्चों को आगामी शैक्षणिक सत्र हेतु तैयार करने हेतु SCERT के माध्यम से स्कूल रेडीनेस कार्यक्रम शीघ्र प्रारंभ करते हुए तीन माह का शाला तैयारी मोड्यूल को लागू किया जाएगा। इस कार्यक्रम के माध्यम से बच्चों में विभिन्न रोचक गतिविधियों के माध्यम से मूलभूत दक्षताओं का विकास किया जाएगा। इस हेतु शिक्षकों का भी उन्मुखीकरण कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। 

 कक्षा तीसरी से पांचवीं तक समग्र शिक्षा के माध्यम से उपचारात्मक शिक्षण हेतु सरल कार्यक्रम , कक्षा छठवीं से आठवीं तक SCERT के सहयोग से नवा जतन कार्यक्रम एवं कक्षा नवमीं से बारहवीं तक के लिए जिला शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से विशेष उपचारात्मक कार्यक्रम संचालित किया जाएगा। 

 सभी शालाओं में सौ दिवसीय अभियान के अंतर्गत निर्धारित सभी साप्ताहिक दक्षताओं को इस अवधि के दौरान विशेष ध्यान देकर पूरा किया जाएगा और दक्षताओं की अच्छे से संप्राप्ति हेतु पर्याप्त अभ्यास करवाया जाएगा। विद्यार्थी विकास सूचकांक के माध्यम से इस पर कक्षवार निगरानी की व्यवस्था की जाए। 

 इस पूरे अभियान की विभिन्न स्तरों पर साप्ताहिक समीक्षा की व्यवस्था की जाए एवं किसी भी स्थिति में किसी प्रकार की ढिलाई नहीं होनी चाहिए। इस कार्यक्रम की पूरी जिम्मेदारी विकासखंड शिक्षा अधिकारियों की होगी। राज्य एवं जिले स्तर से प्रभारी अधिकारी अपने अपने जिले / विकासखंड में इस कार्यक्रम की नियमित समीक्षा कर क्रियान्वयन हेतु जिम्मेदारी में सहभागी होंगे। 

इस कार्यक्रम की प्रभाविता के लिए बाह्य एजेंसी द्वारा विकासखंड शिक्षा अधिकारियों द्वारा संचालित कार्यक्रम की प्रभाविता, इस कार्यक्रम से बच्चों को मिला लाभ एवं उनके पालकों की अपने बच्चों की शिक्षा में सहभागिता, टेली प्रेक्टीज के उपयोग आदि को लेकर एक वृहद बाह्य मूल्यांकन किया जाएगा। इस बाह्य मूल्यांकन के परिणाम का उपयोग विकासखंड शिक्षा अधिकारियों के Performance grading के आकलन के लिए पैमाने के रूप में लिया का सकेगा एवं इस दिशा में बेहतर एवं नवाचारी कार्य कर रहे विकासखंड शिक्षा अधिकारियों को सम्मानित किया जाएगा ।












आपदा प्रबंधन के राज्य स्तरीय कार्यशाला में शामिल हुए जांजगीर-चांपा जिले के मास्टर ट्रेनर्स ...


आपदा प्रबंधन के तहत मुख्यमंत्री शाला सुरक्षा व व्यक्तिगत सुरक्षा पर मास्टर ट्रेनर्स का 5 दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला 19 से 23 फरवरी तक एस.सी.ई.आर.टी. रायपुर में संपन्न हुआ। शासकीय बी.एड. कालेज रायपुर में संपन्न हुए प्रशिक्षण कार्यक्रम में गैस सिलेण्डर फटने, आग लगने, सर्पदंश, कुत्ता काटने, मधुमक्खी काटने, पानी में डूबने, दुर्घटना में घायल हो जाने, जहर खुरानी आदि मामलों पर त्वरित बचाव के उपायों पर मॉकड्रिल कराया गया तथा उन्हे तत्काल रोकने के उपायों पर चर्चा की गयी। द्वितीय चरण के प्रशिक्षण में राज्य भर के सभी जिलों के विकासखण्डों से 163 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इस संबंध में मास्टर ट्रेनर श्री राजेश कुमार सूर्यवंशी ने बताया कि दो चरणों में संपन्न हुए राज्य स्तरीय कार्यशाला में जांजगीर-चांपा व सक्ती जिले के नवागढ़ ब्लाक से श्री तरूण कुमार साहू एबीईओ, श्री राजेश कुमार सूर्यवंशी, श्रीमती ममता डहरिया, जैजैपुर से श्री संदीप कुमार राठौर, सक्ती से श्री सुरेश कुमार श्रीवास, पामगढ़ से श्री राकेश कुमार सोनी एबीईओ, बलौदा एबीईओ श्री ललित कुमार जाटवर, मालखरौदा एबीईओ श्रीमती पुष्पा कोरी दिवाकर व श्री मनीष दुबे ने सहभागिता किया। अब विकासखण्ड स्तर पर 5 मार्च के पूर्व सभी संकुलों से दो-दो शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जायेगा जो अपने संकुल अंतर्गत सभी शिक्षकों को प्रशिक्षित करेंगे। संपूर्ण कार्यक्रम का उद्देश्य स्कूलों में होने वाली संभावित दुर्घटनाओं को रोकना व बचाव के उपाय करने पर आधारित है। प्रशिक्षण यूनीसेफ के राज्य टीम के द्वारा प्रदान की गयी। वही अर्पण फाउण्डेशन मुंबई की टीम ने बाल लैंगिक शोषण के बारिकियों पर प्रशिक्षण प्रदान किया। कार्यक्रम के समापन अवसर पर स्कूल शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव व एस.सी.ई.आर.टी. के डायरेक्टर श्री राजेश सिंह राणा, राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के अतिरिक्त संचालक डा. योगेश शिवहरे, समग्र शिक्षा के राज्य अधिकारी डा. एम. सुधीश, राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण के असिस्टेंट डायरेक्टर प्रशांत कुमार पाण्डेय, डा. विद्यावती चंद्राकर, प्रशिक्षण प्रभारी श्री सुनील मिश्रा ने संबोधित कर कार्यक्रम की सफलता के लिए टिप्स दिए। अपने संबोधन में अतिथियों ने कहा कि स्कूलों में ऐसी संभावित दुर्घटनाएं जिन पर हमारा ध्यान नहीं जाता उन्हे रोकने तत्काल प्रभाव से उपाय किये जायेंगे साथ ही स्कूलों में आपदा प्रबंधन समिति का गठन भी किया जायेगा। प्रशिक्षण उपरांत स्कूलों में आपदा प्रबंधन के तहत संभावित दुर्घटनाओं को रोकने के लिए बिना समय गवाये तत्काल प्राथमिक उपचार की व्यवस्था और बचाव के उपाय किये जायेंगे। राज्य स्तरीय प्रशिक्षण के दौरान स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग भारत सरकार के संयुक्त सचिव मनीष गर्ग, संचालक लोक शिक्षण श्री सुनील जैन, यूनिसेफ के राज्य प्रमुख श्री जाब जकारिया ने भी प्रतिभागियों से चर्चा की। प्रशिक्षण में अर्पण फाउंडेशन की सोनाली माहेश्वरी, वंदना चौहान, आसिफ झा, विशाल वासवानी, डॉ श्रवण कुमार सिंह, डॉ श्याम कुमार ने प्रशिक्षण दिया। 
































           
 
  

वर्ल्ड वेटलेंड डे (विश्व आद्रभूमि दिवस) पर इको क्लब के सदस्यों ने जाना नदियों, झीलों व तालाबों का महत्व ...




आज 2 फरवरी 2022 बुधवार को शास.पूर्व माध्यमिक शाला नवापारा (अमोदा) विकासखण्ड नवागढ़, जिला-जांजगीर-चांपा में पृथ्वी-जल-वायु इको क्लब द्वारा वर्ल्ड वेटलेंड डे अर्थात विश्व आद्रभूमि दिवस पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। शाला प्रबंधन समिति अध्यक्ष श्री चंदराम साहू, शाला आपदा प्रबंधन समिति के अध्यक्ष श्रीमती सावित्री बाई चौहान, प्रधान पाठक श्री भानूप्रताप महाराणा के मार्गदर्शन में संपन्न हुए इस कार्यक्रम आर्द्रभूमि व नदियों, झीलों, तालाबों के महत्व पर प्रकाश डाला गया। इको क्लब प्रभारी शिक्षक श्री राजेश कुमार सूर्यवंशी ने विद्यार्थियों को जानकारी देते हुए बताया कि वर्ल्ड वेटलेंड डे से तात्पर्य विश्व नमभूमि या आद्रभूमि दिवस से है। जमीन का वह हिस्सा जहां पानी और भूमि आपस में मिलते हो उसे वेटलैंड कहा जाता है। इस दिवस को हर साल 2 फरवरी को मनाया जाता है। वेटलैंड यानी आर्द्रभूमि जहां वर्षभर आंशिक या पुर्णरूप से जल भरा रहता है। यह भूमि मनुष्य के जीवन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। वर्ष 1971 में इसी दिन ईरान के रामसर में वेटलैंड कन्वेंशन को अपनाया गया था इसलिए हर वर्ष 2 फरवरी को वेटलैंड डे मनाया जाता हैै। इस साल 2022 वेटलैंड डे की थीम वेटलैंडस् एक्शन फार पीपल एंड नेचर रखी गई है। इको क्लब प्रभारी शिक्षक श्री राजेश कुमार सूर्यवंशी ने रामसर कन्वेंशन के संबंध में बताया कि रामसर स्थल ऐसी आद्रभूमियां हैं, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय महत्व प्राप्त हैं। इन्हें यूनेस्कों की रामसर कन्वेंशन के तहत अधिसूचित किया जाता है। ओडिशा की चिल्का झील भारत का पहला रामसर स्थल है। 2021 में भारत की 4 और आद्रभूमियों को रामसर स्थल की सूची मे शामिल किया गया था। विश्व में कुल 2400 से अधिक स्थलों को रामसर स्थल के रुप में मान्यता प्राप्त हैं। भारत में कुल 46 रामसर स्थल हैं। कार्यक्रम के अंत में विद्यालय परिसर में पौधारोपण कर उसे बड़ा करने का संकल्प लिया। इस अवसर पर शिक्षक श्री कन्हैया लाल मरावी, कर्मचारी श्री हेमंत यादव, इको क्लब के सदस्य आशा साहू, सिमरन यादव, पूजा कंवर, श्रुति चौहान, छाया यादव, खुश्बू बरेठ, मंजू साहू, गीतांजली यादव, संजना यादव, रजनी यादव, सुमित कुमार साहू, अनिल कुमार यादव, मनीष कुमार यादव, महारथी साहू, प्रशांत कश्यप, दीपक कश्यप, शिवा केंवट, कुश कुमार यादव, गौरव यादव, हिमेश देवांगन सहित विद्यार्थीगण उपस्थित रहे।










विद्यालय के इको क्लब का परिचय -
छात्र-छात्राओं में जीवन कौशल विकास, आत्म सम्मान, आत्मविश्वास बढ़ाने, जल व पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने, विविध शैक्षणिक नवाचारी गतिविधियों में सहभागिता निभाने के उद्देश्य से शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला नवापारा (अमोदा) विकासखण्ड नवागढ़, जिला-जांजगीर-चांपा में शाला प्रबंधन समिति अध्यक्ष श्री चंदराम साहू, शाला आपदा प्रबंधन समिति के अध्यक्ष श्रीमती सावित्री बाई चौहान, प्रधान पाठक श्री भानूप्रताप महाराणा के मार्गदर्शन में इको क्लब का गठन किया गया है। इस क्लब का नाम पृथ्वी-जल-वायु इको क्लब रखा गया है। क्लब के माध्यम से विद्यार्थी रचनात्मक गतिविधि से जुड़ रहे है साथ ही विद्यार्थीगण अपने अभिभावक, पड़ोस एवं समुदाय को पर्यावरण व जैव विविधता के प्रति जागरूकता बढ़ाने के साथ ही पर्यावरण गतिविधियों में संलग्न कर रहे है। विभिन्न तरह के प्रोजेक्ट बनाने से लेकर स्वच्छता कार्यक्रम चलाने, बच्चों के नाखून, बाल आदि की प्रार्थना सभा में जांच करने, खेल व शारीरिक गतिविधियों का आयोजन करने, योग, ड्रामा, वाद-विवाद, सांस्कृतिक गतिविधियां, भाषण, निबंध लेखन, पत्र लेखन, चित्रकला, साहित्यिक व सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन इको क्लब के देखरेख में संपन्न हो रहा है। वर्षभर महापुरूषों की जयंती समारोह, दिवस विशेष कार्यक्रम, विश्व स्तर के दिवस जैसे आयोजनों को समारोह पूर्वक मनाया जाता है तथा प्रत्येक आयोजन को यादगार बनाने विद्यालय परिसर में पौधारोपण कर उसके संरक्षण की जिम्मेदारी ली जाती है। इको क्लब के के प्रभारी श्री राजेश कुमार सूर्यवंशी शिक्षक है जो क्लब की गतिविधियों के लिए बच्चों को तैयार करते है। क्लब में सदस्यों की संख्या 20 है जिसमें 10 छात्र व 10 छात्राएं शामिल है।





















































  







डिजिटल स्कूल में दीक्षांत समारोह के साथ परीक्षाफल की घोषणा, बच्चों को बांटे गये अंकसूची...

नवागढ़ ब्लाक के शास.पूर्व माध्य.शाला नवापारा (अमोदा) में शिक्षा सत्र के अंतिम दिवस आज 29 अप्रैल शनिवार को प्रगति पत्रक वितरण सह दीक्षांत समार...