The Digital Teacher : कोरोना काल में विद्यार्थियों में दक्षता विकास व उपचारात्मक शिक्षण का मुख्य आधार है चर्चा पत्र- राजेश सूर्यवंशी

कोरोना काल में विद्यार्थियों में दक्षता विकास व उपचारात्मक शिक्षण का मुख्य आधार है चर्चा पत्र- राजेश सूर्यवंशी


कोरोना काल में जब विद्यालय मार्च 2020 से बंद है और डिजिटल प्लेटफार्म सहित पारा मोहल्ला व अन्य वैकल्पिक उपायों से अध्यापन जारी है। ऐसे में विद्यार्थियों को आगे की कक्षा में पहुंचाने के पूर्व उनमें अपेक्षित दक्षता का विकास एवं उपचारात्मक शिक्षण के लिए राज्य परियोजना कार्यालय समग्र शिक्षा छत्तीसगढ़ के सहायक संचालक डा.एम. सुधीश के मार्गदर्शन में जारी मासिक पत्रिका चर्चा पत्र प्रमुख आधार है। इसमें दिए गये उपायों को शिक्षक अपने विद्यार्थियों में करते हुए अपेक्षित दक्षता विकास कर सकते है। शिक्षक स्वयं को सीखने के लिए लगातार प्रेरित भी करते रहे इसके लिए विभाग द्वारा समय-समय पर वेबीनार का आयोजन किया जा रहा है जिसमें विविध शैक्षणिक गतिविधियों पर चर्चा होती है, इसमें सहभागिता करने की जरूरत है।
चर्चा पत्र को नियमित रूप से अध्ययन कर विविध शैक्षणिक गतिविधियां संपादित करने वाले राष्ट्रीय नवाचारी शिक्षक राजेश कुमार सूर्यवंशी कहते है कि कोरोना की वजह से लाकडाउन के दौरान बच्चों का सीखना जारी रखने हेतु जांजगीर-चांपा जिले के लगभग सभी विकासखण्डों में उत्साही शिक्षकों द्वारा विभिन्न वैकल्पिक माध्यमों से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। ऐसे कार्यों को विभागीय स्तर प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इसी कड़ी में पढ़ई तुहर दुआर वेबसाईट में उल्लेखनीय योगदान देने वाले शिक्षकों को विभागीय अधिकारियों द्वारा हस्ताक्षरित डिजिटल सर्टिफिकेट से सम्मानित करने का क्रम जारी है। विगत साल भर से हो रही गतिविधियों का अब आंकलन करने का समय आ रहा है। प्रत्येक शिक्षक की यह जिम्मेदारी है कि कक्षा उन्नति के पूर्व उनके बच्चों में आवश्यक दक्षताओं का विकास हो सके। इसके लिए आंकलन करना उनका सत्यापन करना और यदि विद्यार्थी में आंकलन उपरांत अपेक्षित दक्षता का विकास नहीं हो पाया तो प्रत्येक विद्यार्थी में छूट रही दक्षताओं की पहचान कर उसे उपचारात्मक शिक्षण देना हमारी जिम्मेदारी है। इस कार्य को सही तरीके से करने के लिए चर्चा पत्र बहुत महत्वपूर्ण साधन है जिसमें बिंदुवार कार्य योजना दी जा रही है। 
चर्चा पत्र के संदर्भ में शिक्षक राजेश सूर्यवंशी बताते है कि संकुलों में शिक्षकों के साथ चर्चा पत्रों का नियमित वाचन, चर्चा एवं शालाओं में उसका जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन किया जाये। अब नवगठित संकुलों में बहुत कम संख्या में स्कूल बचे हैं अतः अकादमिक गुणवत्ता संबंधी कार्यों में किसी प्रकार की ढिलाई नहीं होनी चाहिए और उपचारात्मक शिक्षण सही सही होना चाहिए यह हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने चर्चा पत्र में दिए गये बिंदूओं का उल्लेख करते हुए बताया कि-
1. प्रमुख सचिव महोदय द्वारा सभी स्तर पर अधिकारियों द्वारा लगातार मानिटरिंग की व्यवस्था जारी रखने के निर्देश दिए हैं। सभी अधिकारी अपने क्षेत्र के शत-प्रतिशत बच्चों एवं शत-प्रतिशत शिक्षकों के माध्यम से बच्चों का विभिन्न नवाचारी तरीकों से सीखना जारी रखवाएंगे।
2. संकुल समन्वयक अपनी नई भूमिका में अपने पदस्थ शाला में संकुल की अन्य बच्चों की उपलब्धि एवं शासन की गुणवत्ता संबंधी विभिन्न योजनाओं को बेहतर तरीके से लागू करते हुए आदर्श प्रस्तुत कर अन्य शालाओं के लिए प्रेरक शाला के रूप में कार्य करेंगे। इस हेतु उन्हें अपनी शाला में अधिक समय देना होगा और अन्य शिक्षकों के साथ मिलकर बच्चों की उपलब्धि में फोकस कर कार्य करना होगा। 
3. प्राचार्य, शाला संकुल के अनुमोदन से नव-गठित संकुल समन्वयक अपने संकुल की शालावार अकादमिक समर्थन देने हेतु टूर प्लान बनाएंगे एवं उस दिन पूरे समय उन स्कूल में रहकर कक्षा अध्यापन एवं अन्य कार्यों में सहयोग करेंगे। 
4. पूर्व की भांति संकुल समन्वयकों को उच्च कार्यालयों में विभिन्न प्रशासकीय कार्यों एवं सूचनाएं पहुँचाने के उद्देश्य से बिलकुल भी नहीं बुलाया जाएगा। 
5. प्रमुख सचिव महोदय के निर्देशानुसार ये स्पष्ट रूप से समग्र शिक्षा से संबंधित विभिन्न अकादमिक गुणवत्ता संबंधी कार्यों के जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन के लिए पूर्णतः जिम्मेदार होंगे। अतः इस स्ट्रक्चर से अब किसी भी तरह से अन्य प्रशासकीय कार्यों एवं सूचनाओं के आदान-प्रदान हेतु उपयोग में कदापि नहीं लाया जाए। 
6. प्राचार्य, शाला संकुल इन संकुल समन्वयकों से उनके क्षेत्र में अकादमिक गुणवत्ता लाए जाने में सहयोग के लिए पूर्णतः उत्तरदाई होंगे एवं उनके स्तर तक आने वाले विद्यार्थियों में उनकी कक्षा अनुरूप सभी लर्निंग आउटकम अच्छे से हासिल हो जाए, इस एक उद्देश्य को लेकर कार्य करेंगे ताकि निचली स्तर से आशातीत गुणवत्ता हासिल किए बिना बच्चे अगली कक्षा में चले जाते हैं इसका आरोप एक दूसरे पर लगाने का अवसर नहीं मिले क्योंकि शाला संकुल व्यवस्था में पूर्व प्राथमिक से हायर सेकन्डरी तक बच्चों की उपलब्धि में सतत सुधार की समस्त जिम्मेदारी अब शाला संकुल प्राचार्य की होगी। 
7. समस्त संकुल शैक्षिक समन्वयकों को शाला संकुल योजना के अंतर्गत स्वयं शिक्षण कार्य के अनुभव को वापस लाने के उद्देश्य से कक्षा तीसरी से पांचवी तक के बच्चों का चयन कर उनके साथ निर्धारित समय सीमा तक कार्य करते हुए उनका बेसलाइन एवं एंडलाइन साझा करना है। यह सुनिश्चित करें कि यह जानकारी सही सही भरी जाए क्योंकि इस अनुभव के आधार पर आपको जब अपने शिक्षकों को प्रशिक्षण देना होगा तभी आपको इन बच्चों के साथ कार्य करते हुए शिक्षकों को इन बच्चों की उपलब्धि का आकलन करने का अवसर देना होगा अजो इस दौरान आपके द्वारा प्रमाणित दक्षताओं की प्राप्ति की जानकारी की इस दौरान जांच कर सकेंगे।
8. संकुल समन्वयक अपने संकुल की कमजोर परिणाम देने वाली शालाओं में अधिक समय देते हुए वहां के शिक्षकों के साथ मिलकर उसे सुधारने हेतु अतिरिक्त प्रयास करेंगे। हाई एवं हायर सेकन्डरी के विषय विशषज्ञों के सहयोग से भी विभिन्न विषयों में शिक्षकों का क्षमता विकास किया जा सकेगा।
9. सभी शिक्षक चर्चा पत्र सीधे cgschool.in वेबसाईट से डाऊनलोड कर सकेंगे। अब उन्हें चर्चा पत्र का आडियो फोर्मेट भी पोडकास्ट के रूप में मिल सकेगा। संकुल के प्रत्येक शिक्षक को चर्चा पत्र का उपयोग कर अकादमिक चर्चाओं में सक्रिय सहभागिता लेनी होगी एवं विभिन्न स्तरों पर अधिकारी गण भी आगे से इसे पढ़कर जिले की शालाओं में एजेंडावार बिन्दुओं को समस्त शालाओं में अनिवार्यत लागू करेंगे। 
10. प्रमुख सचिव महोदय शीघ्र ही शाला संकुल प्राचार्य एवं समस्त संबंधित अमले के साथ शाला संकुल के माध्यम से अकादमिक गुणवत्ता लाने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों से अवगत होने एक वेबीनार लेंगे। तब तक सभी शाला संकुल प्राचार्य अपने यहाँ सभी निर्धारित कार्यों को प्रारंभ करते हुए गुणवत्ता सुधार की दिशा में कार्य जारी रखेंगे।





नवभारत दिनांक 08.02.2021


लोकसदन अखबार 09 फरवरी 2021


इस्पात टाईम्स अखबार 10 फरवरी 2021






 

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