The Digital Teacher : युवा दिवस 12 जनवरी पर डिजिटल स्कूल में हुए विविध आयोजन, निकाली गयी स्वामी विवेकानंद की जीवंत झांकी...

युवा दिवस 12 जनवरी पर डिजिटल स्कूल में हुए विविध आयोजन, निकाली गयी स्वामी विवेकानंद की जीवंत झांकी...




आज 12 जनवरी 2023 को देश के महान संत, दार्शनिक और करोड़ों युवाओं के प्रेरणास्त्रोत स्वामी विवेकानंद की जन्म जयंती है। उठो, जागो और तब तक मत रुको, जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए यह दिव्य संदेश देश और दुनिया के लाखों करोड़ों युवाओं के लिए सफलता का मार्ग प्रशस्त कर रही है। इसी कड़ी में आज जनवरी को डिजिटल स्कूल शास.पूर्व माध्य. शाला नवापारा (अमोदा) में युवा दिवस का समारोह पूर्वक आयोजन किया गया। इस अवसर पर स्वामी विवेकानंद के वेशभूषा में विद्यार्थी को तैयार कर झांकी निकाली गयी। झांकी के माध्यम से पूरे गांव का भ्रमण कर राष्ट्रीय एकता व अखण्डता का संदेश दिया गया। इससे पूर्व डिजिटल क्लास में स्वामी जी के तैल चित्र पर पूजा अर्चना कर सर्वधर्म प्रार्थना की गयी तथा विवेकानंद के जीवन चरित्र पर आधारित चलचित्र का प्रदर्शन कर एसएमसी अध्यक्ष श्री चंदराम साहू, उपाध्यक्ष श्रीमती सावित्री चौहान, शिक्षक श्री कन्हैया लाल मरावी व कर्मचारी श्री हेमंत यादव का युवा दिवस पर उद्बोधन कराया गया। इस संबंध में नवाचारी शिक्षक श्री राजेश कुमार सूर्यवंशी ने बताया कि आज के दिन हर साल राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। यह दिन भारत के उन युवाओं व नौजवानों को समर्पित एक खास दिन है, जो देश के भविष्य को बेहतर और स्वस्थ बनाने का क्षमता रखते हैं। भारतीय युवा दिवस को 12 जनवरी को मनाने की एक खास वजह है। इस दिन स्वामी विवेकानंद का जन्म हुआ था। वर्ष 1984 में भारत सरकार ने इस दिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में घोषित किया और 1985 से यह आयोजन हर साल भारत में मनाया जाता है। स्वामी विवेकानंद ने 1897 में कोलकाता में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी। वहीं 1898 में गंगा नदी के किनारे बेलूर में रामकृष्ण मठ की स्थापना भी की थी। 11 सितंबर 1893 में अमेरिका में धर्म संसद का आयोजन हुआ, जिसमें स्वामी विवेकानंद शामिल हुए और पूरे विश्व पर भारत की एकता व अखण्डता का प्रचारित किया। श्री सूर्यवंशी ने कहा कि हमें उनके विचारों को अपने जीवन में अपनाना होगा, तभी हमारा देश प्रगति पथ पर आगे बढ़ सकेगा। नवाचारी शिक्षक श्री राजेश कुमार सूर्यवंशी ने बताया कि स्वामी विवाकानंद का नाम आते ही एक ऐसे तेजस्वी युवा संन्यासी की छवि मन में उभरती है जो ज्ञान के अथाह भंडार हैं। स्वामी विवेकानंद की सोच और उनका दर्शन विश्व बंधुत्व की भावना से भरा हुआ था। वो एक ऐसा समाज चाहते थे, जहाँ बड़े से बङा सत्य सामने आ सके। दरअसल विवेकानंद के लिए सच ही उनका देवता था। वो पूरी दुनिया को अपना देश मानते थे। सत्य एक ही है। उस तक पहुंचने के रास्ते अलग अलग हैं। भारत की इस वैदिक परंपरा को वैश्विक पटल पर रखने वाले स्वामी विवेकानंद धार्मिक आधार पर एक दूसरे पर श्रेष्ठता की जगह सार्वभौम धर्म की कल्पना करते थे और ये कोई अलग धर्म नहीं था बल्कि अपने अपने धर्मों में छिपा वैश्विक भाई चारे का सिद्धांत ही था। विवेकानंद भारत की मिट्टी को अपने लिए सबसे बड़ा स्वर्ग मानते थे। वो मानव सेवा में यकीन रखते थे। वो कहते थे कि वो न राजनेता हैं, न ही राजनीति के आंदोलनकारी। उनका ध्यान बस आत्मा पर होता था। वो मानते थे कि अगर आत्मा ठीक है तो सब ठीक है। कार्यक्रम में सभी विद्यार्थियों का सराहनीय योगदान रहा। अंत में सभी ने संकल्प लिया कि विवेकानंद की सीखों को जीवन में उतारकर पढ़ाई लिखाई के क्षेत्र में  नव प्रतिमान दर्ज करेंगे। 





















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