The Digital Teacher : शिक्षा विभाग के कार्यक्रमों के सफल क्रियान्वयन हेतु 12 कार्यक्रम के नोडल शिक्षकों की बैठक संपन्न ...

शिक्षा विभाग के कार्यक्रमों के सफल क्रियान्वयन हेतु 12 कार्यक्रम के नोडल शिक्षकों की बैठक संपन्न ...


समग्र शिक्षा अंतर्गत संचालित विभिन्न कार्यक्रमों के विकासखण्ड स्तर पर सभी शालाओं में सफल क्रियान्वयन हेतु जांजगीर-चांपा जिले के नवागढ़ ब्लाक के शिक्षकों को नोडल अधिकारी का दायित्व सौंपा गया है। जो अपने शैक्षिक दायित्वों के साथ इन कार्यों को क्रियान्वयन करेंगे। आज 30 सितंबर 2022 शुक्रवार को दोपहर 2 बजे से उक्त सभी नोडल शिक्षकों की ब्लाक स्तर पर बीईओ बीआरसीसी के मार्गदर्शन में बैठक आहूत कर कार्ययोजना तैयार की गयी। बैठक में जिला से एपीसी श्री एच.आर.जासवाल, श्री दिनेश सोनवान, अजीम प्रेमजी से मुनीर जी मार्गदर्शन के लिए उपस्थित रहे। बैठक में एपीसी श्री जायसवाल जी ने बताया कि टीम वर्क की भावना से इस कार्य को ब्लाक में बेहतर तरीके से संपन्न करें क्योंकि आप सब शिक्षक है और एक शिक्षक ही जानता है कि उसके विद्यार्थी को क्या मदद की जरूरत है। एपीसी श्री दिनेश सोनवान ने विभागीय योजनाओं के बारे में रोचक जानकारी दी। बीआरसीसी श्रीमती रिषीकांता राठौर ने कहा कि विकासखण्ड स्तर पर यह कार्यक्रम सभी स्कूलों तक पहुंचे यह उनकी पहली प्राथमिकता होगी। बैठक का संचालन शिक्षक श्री राजेश कुमार सूर्यवंशी ने किया। फाउण्डेशन ने मुनीर व मारिया ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से कार्यक्रम की रूपरेखा की चर्चा की। बैठक में श्री योगेश पाण्डेय व्याख्याता (नोडल- उपचारात्मक शिक्षण हाई /हायर लेवल), श्रीमती जयंती दुबे, प्रधान पाठक (नोडल- उपचारात्मक शिक्षण उच्च प्राथमिक), श्री घनश्याम देवांगन, प्रधान पाठक (नोडल- एसएमसी एक्शन मोड कार्यक्रम), श्री राजेश कुमार सूर्यवंशी, शिक्षक (नोडल- कबाड़ से जुगाड़ कार्यक्रम), श्रीमती शीला शर्मा, सहा.शिक्षक (नोडल- अंगना म शिक्षा कार्यक्रम), श्रीमती शालिनी शर्मा, सहा.शिक्षक (नोडल- खिलौने से सीखना पियर लर्निंग कार्यक्रम), श्री ललित मोहन जायसवाल, शिक्षक (नोडल- पठन /गणितीय कौशल विकास), कुमारी दीप्ति राठौर, शिक्षक (नास / असर सर्वे सुधार कार्यक्रम), श्री अमित कुमार शुक्ला, सहा.शिक्षक (नोडल- 100 दिन सौ कहानियां कार्यक्रम), श्रीमती गीता लहरे, शिक्षक (नोडल- गढ़बो नवा भविष्य कार्यक्रम) उपस्थित रहे। उक्ताशय की जानकारी नोडल टीम के प्रचार-प्रसार प्रभारी श्री असीमधर दीवान, सहा.शिक्षक ने दी है। 
 
विभिन्न कार्यक्रमों की जानकारी -

(1) NAS एवं ASER सर्वे सुधार कार्यक्रम -  NAS (National Achievement Survey) राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण विद्यालय का  शिक्षा स्तर सुधारने के लिए राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधानऔर प्रशिक्षण परिषद (NCERT) द्वारा विकसित एक सर्वेक्षण कार्यक्रम है जिसके तहत कक्षा 3,5,8 और कक्षा 10 के छात्रों की सीखने के स्तर का मूल्यांकन हेतु परीक्षा आयोजित की जाती है। यह कार्यक्रम शैक्षिक मूल्यांकन तथा उपलब्धि स्तरदोनों प्रकार का है। इस सर्वेक्षण में पांच विषयो भाषा , सामाजिक विज्ञान, गणित , विज्ञान और पर्यावरण अध्ययन की उपलब्धि की जांच की जाती है।  ASER (Annual Status of Education Report) ग्रामीण भारत में 5-16 आयु वर्ग के बच्चों की स्कूली शिक्षा की स्थिति पर रिपोर्ट प्रदान करती है, जिसमें बुनियादी पढ़ने और अंकगणितीय कार्यों को करने की क्षमता भी शामिल है। इस वर्ष, ASER ने फोन-आधारित सर्वेक्षण प्रारूप का पालन किया, क्योंकि कोविड -19 महामारी के कारण क्षेत्र सर्वेक्षण संभव नहीं था। यह सर्वेक्षण सितंबर-अक्टूबर 2021 के दौरान आयोजित किया गया था। यह यह पता लगाने की कोशिश करता है कि कोविड -19 महामारी की शुरुआत के बाद से 5-16 आयु वर्ग के बच्चों ने घर पर कैसे अध्ययन किया। 

(2) एस.एम.सी. एक्शन मोड कार्यक्रम- इस कार्यक्रम के तहत सभी शालाओं में शाला प्रबंधन समिति को सशक्त करते हुए विद्यालय विकास में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका सुनिश्चित करना है।  विद्यालय में शाला प्रवेश उत्सव, शाला त्यागी, ठहराव की समस्या, विद्यालय में विभिन्न मद एवं उनका वित्तीय प्रबंधन, सामुदायिक सहभागिता, शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009, विद्यालय में संचालित विभिन्न योजना, बालिका शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण, विद्यालय विकास योजना आदि कार्यों में शाला प्रबंधन समिति को सक्रिय करते हुए विद्यालय का चहुंमुखी विकास करना प्रमुख उद्देश्य है।

(3) कबाड़ से जुगाड़ - शून्य निवेश या कम लागत में शिक्षण सहायक सामग्री (ज्मंबीपदह स्मंतदपदह डंजमतपंस) तैयार करने की विधि है। जिसके माध्यम से बच्चे खेल-खेल में शिक्षा प्राप्त करते हैं। इस अवधारणा को हम कबाड़ से जुगाड़ कार्यक्रम कहते हैं। इस विधि के माध्यम से हम कई तरह की चीजें बना सकते हैं।

(4) उपचारात्मक शिक्षण - इस गतिविधि के तहत शिक्षक छात्रों के अधिगम सम्बन्धी दोषों को दूर कर उनके कक्षा में पिछड़ेपन को दूर करने का प्रयास करता है। संक्षेप में उपचारात्मक शिक्षण वास्तव में उत्तम शिक्षण है जो छात्र को उसकी यथार्थ स्थिति का ज्ञान कराता है और सुप्रेरित क्रियाओं द्वारा बालक को उसके कमजोर क्षेत्रों में अधिक दक्षता प्राप्त करने की दिशा में अभिप्रेरित करता हैं। उपचारात्मक शिक्षण के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं- छात्रों में अधिगम सम्बन्धित दोषों को दूर करना, उपचार हेतु शिक्षक द्वारा शिक्षण का नियोजन करना, छात्रों में उन आवश्यक आदतों तथा कुशलताओं का विकास करना जो अब तक उनमें विकसित नहीं हुई हैं, छात्रों में वांछनीय व्यवहार सम्बन्धित परिवर्तनों का विकास करना।

 (5) अंगना म शिक्षा - छोटे बच्चों की माताओं को अपने बच्चों को घर पर रहकर स्कूल के लिए तैयार करने के उद्देश्य से महिला शिक्षिकाओं के नेतृत्व में अंगना म शिक्षा कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है।

(6) 100 दिन सौ कहानियां कार्यक्रम - उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 100 दिनों तक 100 कहानियों को पढ़ने, सुनने, सीखने का कार्य प्रगति पर है। प्रत्येक उच्च प्राथमिक विद्यालयों को 100 पुस्तकों का सेट, समग्र शिक्षा, छत्तीसगढ़ के माध्यम से प्रदान किया गया है। बच्चों को हिंदी व स्थानीय भाषाओं में एक ही कहानी, पढ़ने सुनने का अवसर मिलता है। इससे बच्चों का शब्द ज्ञान बढ़ता है, अर्थ को समझने में आसानी होती है। पुस्तक में चित्रों का समावेश है जिससे बच्चे कहानीह की पटकथा को आसानी से समझ पाते हैं। चित्रों को देखकर बच्चों को कहानी पढ़ने में और भी दिलचस्पी बढ़ जाती है। कहानी के अंत में अभ्यास कार्य भी दोनों भाषाओं में दिये गए है। जैसे शब्दों का मिलान, रिक्त स्थान, समूह बंधन, प्रश्नोत्तरी, व्याकरण आदि। ये पुस्तके नैतिक गुणों को बढ़ाने पर आधारित है। कहानी कथन के माध्यम से बच्चे भाषा के स्वकर के उतार-चढ़ाव, शारीरिक गति, हाव-भाव आदि के उपयोग से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करने में सक्षम हो पा रहे है।

(7) गढ़बो नवा भविष्य कार्यक्रम - सभी प्राथमिक स्कूलों के बच्चों को पुस्तकीय ज्ञान के साथ-साथ अब व्यावहारिक ज्ञान भी दिया जाएगा। उन्हें अपने समाज और अपने आस-पास की व्यवहारिक बाते भी सिखाई जाएंगी। इसके लिए गढ़बो नवा भविष्य कार्यक्रम शुरू की गयी है।  इसके तहत प्राथमिक कक्षाओं में बच्चों को पठन कौशल विकास एवं साथ-साथ विभिन्न व्यवसायों की जानकारी प्रदान की जायेगी।

(8) विद्यार्थी विकास सूचकांक कार्यक्रम - सभी प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक शालाओं को अपना परफार्मेंस दीवार पर सूची लगाकर दिखाना होगा। शिक्षक एक महीने तक किस बात पर फोकस करेंगे एवं बच्चों में कौन सी दक्षता हासिल कर पाएंगे इसे वे एक चार्ट बनाकर स्कूल में प्रदर्शित करना पड़ेगा। प्रारंभिक कक्षाओं में विद्यार्थियों को विभिन्न लर्निंग आउटकम में दक्ष करने के उद्देश्य से प्रत्येक कक्षा में विद्यार्थी विकास सूचकांक तैयार कर उनका उपयोग करने के निर्देश हैं। इसके तहत शिक्षकों को प्रत्येक माह प्रत्येक कक्षा में कम से कम पांच लर्निंग आउटकम का चयन कर उन पर फोकस कर कक्षा में अध्यापन करना होगा। यह कार्य उनके नियमित पाठ्यक्रम के अध्यापन के साथ-साथ जारी रखा जाएगा। उदाहरण के लिए यदि शिक्षक किसी माह विद्यार्थियों को हाव-भाव के साथ किसी कविता को गा सकने के लर्निंग आउटकम को फोकस किया है तो उस माह अपने नियमित अध्यापन के साथ प्रत्येक विद्यार्थी में इस दक्षता को लाने हेतु प्रतिदिन कुछ समय अलग से निकल कर उस पर फोकस किया जाएगा। 

(9) प्रयोगशाला व पुस्तकालय के उपयोग कार्यक्रम - इसके तहत विद्यालयों में शैक्षिक स्तर सुधारने के लिए पुस्तकालयों और विज्ञान प्रयोगशालाओं का अधिकाधिक उपयोग करने पर जोर दिया गया है ताकि विद्यार्थी सीखने के लिए प्रेरित हो सके।  

(10) पियर लर्निंग कार्यक्रम- कक्षा में बच्चों के सीखने-सिखाने की प्रक्रिया को अधिक आसान और रूचिकर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। सीखने-सिखाने में बच्चों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश की सभी शालाओं में अब कक्षा में साथ-साथ सीखना अर्थात पियर लर्निंग पर जोर दिया जाएगा। इस प्रणाली को बच्चों के मध्य धीरे-धीरे लोकप्रिय बनाते हुए कक्षाओं में लागू किया जा रहा है।  

















                         

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