The Digital Teacher : वृद्धजन दिवस पर डिजिटल स्कूल में हुआ में गांव के बुजुर्गों का सम्मान ....

वृद्धजन दिवस पर डिजिटल स्कूल में हुआ में गांव के बुजुर्गों का सम्मान ....

जांजगीर-चांपा जिले के नवागढ़ ब्लाक अंतर्गत शास.पूर्व माध्य.शाला नवापारा (अमोदा) में 1 अक्टूबर 2022 शनिवार को अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस मनाया गया। जिसमें गांव के सेवाभावी वरिष्ठजनों को स्कूल परिसर में आमंत्रित कर स्कूल स्टाफ द्वारा फूल, पुष्प हार व श्रीफल से सम्मानित किया गया। इस दौरान इस दिवस को यादगार बनाने परिसर में फलदार पौधे भी रोपित कर उसे वृक्ष बनाने का संकल्प लिया गया। 
इस अवसर पर गांव के बुजुर्ग महिला पुरूषों पुष्पगुच्छ व श्रीफल से सम्मान किया गया। इस अवसर पर प्रधान पाठक श्री भानूप्रताप महाराणा ने अपने संबोधन में कहा कि उम्रदराज लोगों को घर की नींव समझा जाता है और उनके आशीर्वाद को किसी भी काम में सबसे बड़ा सहायक माना जाता है इसलिए हमारे देश में सभी अपने से बड़ों का सम्मान और आदर करते हैं। उन्होंने कहा कि आज वृद्धजनों के सम्मान और उनकी देखभाल के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय वृद्द्धजन दिवस मनाया जा रहा है। हम सभी का यह कर्तव्य है कि अपने समाज में बड़ों का सम्मान करें उनकी सेवा के लिए तत्पर रहे। उन्होंने बताया कि दुनियाभर में रह रहे वृद्धों और उम्रदराज लोगों के साथ होने वाले भेदभाव, अपमान जनक व्यवहार, उपेक्षा और अन्याय पर रोक लगाने के उद्देश्य से इस दिवस को मनाया जाता है। कार्यक्रम के संयोजक शिक्षक श्री राजेश कुमार सूर्यवंशी ने इस दिवस के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि इस वर्ष इस दिवस की थीम है-एक बदलती दुनिया में, वृद्धजन की सहनशीलता। इस संबंध में वैश्विक मंच का जिक्र करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने अन्तरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के अवसर पर, तेजी से बदलती दुनिया में एक अरब से भी ज्यादा वृद्ध महिलाओं और पुरुषों की सहनशीलता की तरफ ध्यान आकर्षित कर अपने वीडियो सन्देश में कहा है कि- “पिछले कुछ वर्षों के दौरान नाटकीय परिवर्तन हुए है और वृद्धजन खुद को अक्सर संकटों के बीच में पाते हैं।” उन्होंने कहा कि वृद्धजन अनेक तरह की चुनौतियों के लिये नाज़ुक हालात में हैं, जिनमें कोविड-19 महामारी, बद से बदतर होता जलवायु संकट, विस्तारित संघर्ष व लड़ाइयाँ, और बढ़ती निर्धनता शामिल हैं फिर भी इन जोखिमों के मद्देनजर वृद्धजन ने हमें उनकी असाधारण सहनशीलता के साथ प्रेरित किया है।” 

विश्व में वृद्धों एवं प्रौढ़ों के साथ होने वाले अन्याय, उपेक्षा और दुर्व्यवहार पर लगाम लगाने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 01 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसे भिन्न-भिन्न-नामों से जाना जाता है जैसे- ‘अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस’, ‘अंतरराष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस’, ‘विश्व प्रौढ़ दिवस’ अथवा ‘अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस’ इत्यादि। इस अवसर पर अपने वरिष्ठ नागरिकों का सम्मान करने एवं उनके सम्बन्ध में चिंतन करना आवश्यक होता है। विश्व में इस दिवस को मनाने के तरीके अलग-अलग हो सकते हैं, परन्तु सभी का मुख्य उद्देश्य यह होता है कि वे अपने बुजुर्गों के योगदान को न भूलें और उनको अकेलेपन की कमी को महसूस न होने दें। हमारा भारत तो बुजुर्गों को भगवान के रूप में मानता है। भारत में वृद्धों की सेवा और उनकी रक्षा के लिए कई कानून और नियम बनाए गए हैं। केंद्र सरकार ने भारत में वरिष्ठ नागरिकों के आरोग्यता और कल्याण को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 1999 में वृद्ध सदस्यों के लिए राष्ट्रीय नीति तैयार की है। इस नीति का उद्देश्य वृद्ध व्यक्तियों को स्वयं के लिए तथा उनके पति या पत्नी के बुढ़ापे के लिए व्यवस्था करने के लिए प्रोत्साहित करना मुख्य है, इसमें परिवारों को अपने परिवार के वृद्ध सदस्यों की देखभाल करने के लिए प्रोत्साहित करने का भी प्रयास किया जाता है। इसके साथ ही 2007 में माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण विधेयक संसद में पारित किया गया है। इसमें माता-पिता के भरण-पोषण, वृद्धाश्रमों की स्थापना, चिकित्सा सुविधा की व्यवस्था और वरिष्ठ नागरिकों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा का प्रावधान किया गया है। लेकिन इन सबके बावजूद हमें अखबारों और समाचारों की सुर्खियों में वृद्धों की हत्या, लूटमार, उत्पीड़न एवं उपेक्षा की घटनाएं देखने को मिल ही जाती हैं। वृद्धाश्रमों में बढ़ती संख्या इस बात का साफ सबूत है कि वृद्धों को उपेक्षित किया जा रहा है। हमें समझना होगा कि अगर समाज के इस अनुभवी स्तंभ को यूं ही नजरअंदाज किया जाता रहा तो हम उस अनुभव से भी दूर हो जाएंगे जो इन लोगों के पास है। सरकारी प्रयासों के साथ-साथ जनजागृति का माहौल निर्मित करना होगा, आज हमें बुजुर्गों एवं वृद्धों के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वाह करने के साथ-साथ समाज में उनको उचित स्थान देने की कोशिश करनी होगी ताकि उम्र के उस पड़ाव पर जब उन्हें प्यार और देखभाल की सबसे ज्यादा जरूरत होती है तो वो जिंदगी का पूरा आनंद ले सकें। वृद्धों को भी अपने स्वयं के प्रति जागरूक होना होगा, जैसा कि जेम्स गारफील्ड ने कहा भी है कि यदि वृद्धावस्था की झुर्रियां पड़ती हैं तो उन्हें हृदय पर मत पड़ने दो। कभी भी आत्मा को वृद्ध मत होने दो।’

 
इस अवसर पर शिक्षक श्री कन्हैया लाल मरावी, श्री हेमंत कुमार यादव सहित गांव के बुजुर्ग व विद्यार्थीगण उपस्थित रहे।









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