The Digital Teacher : शिक्षा के चहुंमुखी विकास से होगा देश व समाज का सर्वांगीण विकास- राजेश कुमार सूर्यवंशी...

शिक्षा के चहुंमुखी विकास से होगा देश व समाज का सर्वांगीण विकास- राजेश कुमार सूर्यवंशी...


(स्वतंत्रता दिवस की 75 वीं वर्षगांठ पर विशेष)
आज 15 अगस्त 2021 को हम सब आजादी की 75 वां वर्षगांठ मना रहे है। इस अवसर पर जांजगीर-चांपा जिले के राष्ट्रीय नवाचारी शिक्षक राजेश कुमार सूर्यवंशी ने जिले भर के शिक्षकों, विद्यार्थियों, आम नागरिकों व पालकों से बच्चों के शैक्षिक विकास में सहभागी बनने की अपील की है क्योकि शिक्षा के चहुंमुखी विकास से होगा देश व समाज का सर्वांगीण विकास हो सकता है। आजादी के इस उत्सव के अवसर पर शिक्षक राजेश कुमार सूर्यवंशी ने कहा है कि 15 अगस्त एक ऐसा अवसर है जब हम सब तिरंगे को लहराते हुए स्वाधीनता दिवस समारोहों में भाग लेकर और देशभक्ति से भरे गीत सुनकर उत्साह से भर जाते हैं। हम सबके लिए यह स्वाधीनता के गौरव को महसूस करने का दिन है। हमारा भारत देश इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस की 75 वें वर्षगांठ को ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के रूप में मना रहा है। जिसका श्रेय चंद्रशेखर आजाद, सरदार भगत सिंह, खुदीराम बोस, अशफाकउल्ला खान, छत्तीसगढ़ के सेनानी वीर नारायण सिंह व वीर गुण्डाधूर सहित उन तमाम देशभक्तों व शहीद जवानों को जाता है जिनके बलिदान के बल पर ही हम सब आज एक स्वतंत्र देश के निवासी हैं। इस अवसर पर आइए हम सब अपने स्वाधीनता सेनानियों के बलिदान को कृतज्ञता के साथ याद करे क्योंकि उनके बलिदान हमारे स्वाधीनता संग्राम के आदर्शों की नींव पर ही आधुनिक भारत का निर्माण हो रहा है। हमारे दूरदर्शी राष्ट्र-नायकों ने अपने देशभक्ति विचारों को राष्ट्रीयता के एक सूत्र में पिरोकर गुलाम भारत देश को दमनकारी विदेशी शासन से मुक्त कराया और भारत माता की संतानों के भविष्य को सुरक्षित किया हम सब उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते है।
राष्ट्रीय नवाचारी शिक्षक राजेश कुमार सूर्यवंशी कहते है कि हम सौभाग्यशाली हैं कि महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, सरदार पटेल जैसे महापुरूष हमारे स्वाधीनता आंदोलन के मार्गदर्शक रहे। उनके व्यक्तित्व में एक संत और राजनेता का जो समन्वय दिखाई देता है, वह भारत की मिट्टी में ही संभव था। सामाजिक संघर्ष, आर्थिक समस्याओं और जलवायु परिवर्तन से परेशान आज की दुनिया गांधीजी की शिक्षाओं में समाधान पाती है। समानता और न्याय के लिए उनकी प्रतिबद्धता हमारे गणतंत्र का मूलमंत्र है। साथियों इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस के उत्सवों में हमेशा की तरह धूम-धाम नहीं है, हमारे विद्यार्थी आज हमारे साथ उपस्थित नहीं है, इसका कारण स्पष्ट है। पूरी दुनिया कोविड 19 के घातक वायरस से जूझ रही है जिसने जन-जीवन को भारी क्षति पहुंचाई है और हर प्रकार की गतिविधियों में बाधा उत्पन्न की है। इस वैश्विक महामारी के कारण हम सबका जीवन पूरी तरह से बदल गया है। इस बड़ी चुनौती का सामना करने के लिए केंद्र व राज्य सरकार ने पूर्वानुमान करते हुए प्रभावी कदम उठाए जिसके चलते घनी आबादी और विविध परिस्थितियों वाले हमारे विशाल देश ने इस चुनौती का डटकर सामना किया है। हम सबकी जिम्मेदारी बनती है कि वैश्विक महामारी को समाप्त करने में हम अपना योगदान दे। कोविड टीका अवश्य लगवाये और कोरोना प्रोटोकाल का पालन करें। इस कोरोना काल में जब हम बच्चों से भौतिक रूप से दूर है किंतु वर्चुअल तरीकों से हम उन्हे शिक्षा दे रहे है। हमारा शिक्षा विभाग पढ़ई तुंहर दुआर, अंगना म शिक्षा जैसे अनेकों उपायों से बच्चों को पढ़ाने के लिए योजना चला रही है, आनलाईन तरीकों से आज शिक्षक प्रशिक्षण सुचारू रूप से चल रहा है ऐसे में हम सबका कर्तव्य बनता है कि इसमें अपना बेहतर योगदान दे। 
आज इस पुनीत अवसर पर हम उन सभी डाक्टरों, नर्सों, पुलिसकर्मियों, सफाई कर्मचारी, डिलीवरी स्टाफ, वाहन चालक, सरकारी कर्मचारी, समाजसेवी संगठन और उदार नागरिकों का हृदय से धन्यवाद करते है जो कोरोना वायरस के खिलाफ इस लड़ाई में अग्रिम पंक्ति के योद्धा रहे हैं। दुर्भाग्यवश उनमें से अनेक योद्धाओं ने इस महामारी का मुकाबला करते हुए अपने जीवन का भी बलिदान दिया है हम सब उनको श्रद्धांजलि अर्पित करते है। साथियों भारत देश की यह परंपरा रही है कि हम केवल अपने लिए नहीं जीते हैं बल्कि पूरे विश्व के कल्याण की भावना के साथ कार्य करते हैं। भारत की आत्मनिर्भरता का अर्थ स्वयं सक्षम होना है। पूरे विश्व के अनेकों देशों को हमारे देश ने कोविड टीका भेजकर वसुधैव कुटुम्बकम अर्थात् समस्त विश्व एक ही परिवार है की उस मान्यता को साकार किया है, जिसका उद्घोष हमारी परंपरा में बहुत पहले ही कर दिया गया था। हमारे भारतीय सेना के जवान सूबेदार नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक में भाला फेक प्रतियोगिता  में गोल्ड मेडल जीतकर पूरे विश्व के समक्ष भारत का सर गर्व से ऊंचा किया है यह हम सबके लिए फक्र की बात है हम अपने विद्यार्थियों को खेल के प्रति भी जागरूक करें।
राष्ट्रीय नवाचारी शिक्षक राजेश कुमार सूर्यवंशी ने कहा कि आज अवसर हमारे वीर जवानों की शहादत को याद करने का भी है जिन्होंने सीमाओं की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। भारत माता के वे सपूत राष्ट्र गौरव के लिए ही जिए और उसी के लिए मर मिटे। आज हमारा पूरा देश गलवान घाटी के बलिदानियों को नमन कर रहा है। कोविड काल में हम सबने कई महत्वपूर्ण सबक सीखे हैं। एक अदृश्य वायरस ने इस मिथक को तोड़ दिया है कि प्रकृति मनुष्य के अधीन है। मेरा मानना है कि अब हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाते हुए सादा जीवन-शैली को अपनाने की आवश्यकता है। हमारे विद्यार्थियों को भविष्य की जरूरतों के अनुसार शिक्षा प्रदान करने की दृष्टि से केंद्र सरकार ने हाल ही में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू किया है। मुझे विश्वास है कि इस नीति से गुणवत्ता से युक्त एक नई शिक्षा व्यवस्था विकसित होगी जो भविष्य में आने वाली चुनौतियों को अवसर में बदलकर नए भारत का मार्ग प्रशस्त करेगी। हमारे युवाओं को अपनी रूचि और प्रतिभा के अनुसार अपने विषयों को चुनने की आजादी मिली है। इससे उन्हें अपनी क्षमताओं को विकसित करने का अवसर मिलेगा। हमारी भावी पीढ़ी इन योग्यताओं के बल पर न केवल रोजगार पाने में समर्थ होगी बल्कि दूसरों के लिए भी रोजगार के अवसर उत्पन्न करेगी। नई शिक्षा नीति के तहत मातृभाषा में अध्ययन को महत्व दिया गया है जिससे बालमन सहजता से पुष्पित-पल्लवित हो सकेगा। साथ ही इससे भारत की सभी भाषाओं को और भारत की एकता को आवश्यक बल मिलेगा। उन्होंने जिले भर के शिक्षकों से कहा है कि इस वैश्विक महामारी का सामना करने में जिस समझदारी और धैर्य का परिचय हम सब शिक्षक दे रहे हैं उसकी मैं सराहना करता हूं। मुझे विश्वास है कि आप सब इसी प्रकार, सतर्कता और जिम्मेदारी बनाए रखेंगे। हमारे पास विश्व-समुदाय को देने के लिए बहुत कुछ है विशेषकर बौद्धिक, आध्यात्मिक और विश्व-शांति के क्षेत्र में। इसी लोक-मंगल की भावना के साथ मैं प्रार्थना करता हूं कि समस्त विश्व का कल्याण हो। 
शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दे रहे राजेश कुमार सूर्यवंशी
जांजगीर-चांपा जिले में राजेश कुमार सूर्यवंशी शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए जाने जाते है। राष्ट्रीय, राज्य व जिले स्तर पर अनेक पुरस्कारों से नवाजे जा चुके है।शिक्षक राजेश सूर्यवंशी को जिले में पहला सरकारी डिजिटल स्कूल आरंभ करने का श्रेय जाता है। राजेश कुमार सूर्यवंशी डिजिटल पाठ्यपुस्तकों और आडियों, विडियों, इन्टरैक्टिव छवियों, मानचित्रों, प्रश्न संग्रहों जैसे ई संसाधनों का उपयोग करते हुए जल व पर्यावरण संरक्षण की वास्तविक गतिविधियों से बच्चों को जोड़ते हुए समय-समय पर शैक्षणिक प्रदर्शनियों, राष्ट्रीय व राज्य स्तर के कार्यशालाओं, प्रतियोगिताओं, अनुसंधान गतिविधियों व आनलाईन कोर्सेस में भाग लेकर विद्यालय की शैक्षणिक गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए प्रयासरत मानव संसाधन व विकास मंत्रालय भारत सरकार के हाथों पुरस्कृत एक राष्ट्रीय नवाचारी शिक्षक है जो स्वयं के संसाधनों से सरकारी स्कूल को डिजिटल स्कूल में तब्दील करने के बाद अब आई.सी.टी. तकनीकी का उपयोग कर राज्य भर के उत्साही शिक्षकों व विद्यार्थियों के साथ आनलाईन व आफलाईन तरीकों से जुड़कर नित नये नवाचारी गतिविधियों के लिए समर्पित है।





दैनिक छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस में प्रकाशित मेरा लेख दिनांक 15-08-2021



लोकमाया में प्रकाशित मेरा लेख दिनांक 15-08-2021


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