(गणतंत्र दिवस पर विशेष)
गणतंत्र दिवस हमारा राष्ट्रीय पर्व है। आज 26 जनवरी 2021 को हम भारतवासी अपना 72 वां गणतंत्र दिवस मना रहे है। यदि हम इतिहास को पलटकर देखे तो इस दिन साल 1950 को भारत सरकार अधिनियम 1935 को हटाकर भारत का संविधान लागू किया गया था। एक स्वतंत्र गणराज्य बनने और कानून स्थापित करने संविधान को 26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान सभा ने अपनाया था। जबकि 26 जनवरी 1950 को लोकतांत्रिक सरकार प्रणाली के साथ लागू किया गया। भारतीय संविधान के जनक बाबा साहब भीमराव अंबेडकर है। साथियों जब 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू किया गया था तब इसमें कुल 395 लेख एवं 8 अनुसूचियाँ तथा 22 भाग थे। संविधान निर्माण समिति में कुल 284 सदस्य थे। उन्होंने 24 नवंबर 1949 को संविधान पर हस्ताक्षर किए। इन सदस्यों में 15 महिलाएं थीं। देश के प्रथम राष्ट्रपति डाक्टर राजेंद्र प्रसाद ने 21 तोपों की सलामी के साथ राष्ट्र ध्वज को फहराकर भारत को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया था।
उक्त बातें राष्ट्रीय नवाचारी शिक्षक राजेश कुमार सूर्यवंशी ने कही। जांजगीर-चांपा जिले के प्रथम सरकारी डिजिटल विद्यालय के स्थापना से लेकर विविध शैक्षणिक नवाचारी गतिविधियों से सरकारी विद्यालय को बेहतर बनाने की दिशा में वर्षों से काम कर रहे शिक्षक राजेश कुमार सूर्यवंशी ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर कहा कि गणतंत्र दिवस एक ऐसा दिन है जो पूरे देश में उत्साह से मनाया जाता है। यह हम भारतीयों के लिए संवैधानिक महत्व का है। यह हमारे संविधान के कार्यान्वयन का दिन है। यह हमारे लिए बहुत खास है क्योंकि देश की संवैधानिक प्रणाली इसके द्वारा शासित है। 26 जनवरी 1950 से यह हर साल लगातार मनाया जाता रहा है। इससे पहले, देश में लंबे समय तक अंग्रेजों का शासन था। वर्षों की गुलामी के बाद, हमारा देश 15 अगस्त, 1947 को आखिरकार स्वतंत्र हो गया। तीन साल बाद, इसे पूरी तरह से लोकतांत्रिक देश का दर्जा भी मिला। यह दिन हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों का केंद्र है। हमें दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नागरिक होने का गौरव प्राप्त है। साथियों हम सबको एक ऐसे सपने को साकार करने के लिए खुद को समर्पित करना चाहिए जिसने हमारे युवा पीढ़ी को अपने देश में एक वर्गहीन, सहकारी, मुक्त और प्रसन्नचित्त समाज की स्थापना के सपने को साकार करने की प्रेरणा मिले। साथियों इस वर्ष का गणतंत्र दिवस कई मायनों में अलग है। देश की राजधानी दिल्ली में भी इस वर्ष कोरोना वायरस के कारण गणतंत्र दिवस पर कोई मुख्य अतिथि नहीं होंगे। हम सब भी बिना विद्यार्थियों के यह आयोजन संपन्न कर रहे है। शिक्षक राजेश सूर्यवंशी कहते है कि हम सब शिक्षक है और हमारा प्रथम कर्तव्य है देश की युवा पीढ़ी को शिक्षा देकर देश के भविष्य को संवारना, शिक्षा हर इंसान का पहला और महत्वपूर्ण अधिकार है। यह हमें एक लक्ष्य निर्धारित करने और जीवन भर उस पर काम करके आगे बढ़ने में मदद करती है। यह हमारे ज्ञान, कौशल, आत्मविश्वास स्तर और व्यक्तित्व में सुधार करता है। यह हमारे जीवन में दूसरों के साथ बातचीत करने के लिए हमें बौद्धिक रूप से सशक्त बनाता है। शिक्षा परिपक्वता लाती है और हमें बदलते परिवेश के साथ समाज में रहना सिखाती है। यह सामाजिक विकास, आर्थिक विकास और तकनीकी विकास का एक बेहतर तरीका है। शिक्षा हमारे शरीर, मन और आत्मा का पवित्र करती है। प्रत्येक व्यक्ति को अपने स्वयं के जीवन स्तर को बढ़ाने के साथ-साथ अपने राज्य व देश के सामाजिक और आर्थिक विकास का हिस्सा बनने के लिए सदैव प्रयत्नशील रहना चाहिए। श्री सूर्यवंशी ने कहा कि गणतंत्र दिवस के इस पुण्य अवसर पर मैं हमारे देश के वैज्ञानिकों को नमन करता हूं जिन्होंने कोरोना काल के चुनौतियों को अवसर में बदला है और उनके द्वारा तैयार कोविशील्ड व कोवैक्सीन जो कि स्वदेशी वैक्सीन है, आज पड़ोसी देशों सहित तमाम देशों में निर्यात किया जा रहा है जिससे भारत का मान विश्व पटल पर और भी बढ़ा है। साथियों कोरोनाकाल के दौरान एक ओर जहां सामाजिक दूरी बढ़ी है तो वही दूसरी ओर हम टेक्नोलाजी के करीब हुए है। छ.ग.शासन स्कूल शिक्षा विभाग की पढ़ई तुंहर दुआर वेबसाईट के जरिये आज हमारे शिक्षक बच्चों से जुड़े हुए है और आनलाईन कक्षाओं के जरिये हम शिक्षा की अलख जगा रहे है। यह हमारे लिए बिल्कुल नया और बेहतरीन अनुभव है। इस पुनीत अवसर पर मैं देश के तमाम महापुरूषों, वीर शहीदों सहित देश भर के उन सभी नागरिकों को श्रद्धासुमन अर्पित करता हूं जिनकी जानें कोरोना महामारी की वजह से हुई है। हम भाग्यशाली लोगों में से है जो इस भीषण महामारी के बावजूद स्वस्थ्य है सुरक्षित है हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम देश व समाज के लोगों की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए जागरूकता लाने का काम करें। मास्क लगाना, सेनेटाईज करना और सामाजिक दूरी को बनाये रखे। मैं इस अवसर पर आप सभी शिक्षकों, पालकों व विद्यार्थियों सहित समस्त नागरिकों को बधाई प्रेषित करता हूं।
*अलग है भाषा, धर्म जात और प्रान्त, भेष, परिवेश।
पर हम सब का एक है गौरव राष्ट्रध्वज तिरंगा श्रेष्ठ।।*
26 जनवरी 2021 को लोकमाया अखबार में प्रकाशित लेख ..
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