The Digital Teacher : आनलाईन अध्ययन सामग्री- कक्षा 6 वीं विषय सामाजिक विज्ञान (इतिहास) अध्याय 3 सिंधु घाटी सभ्यता

आनलाईन अध्ययन सामग्री- कक्षा 6 वीं विषय सामाजिक विज्ञान (इतिहास) अध्याय 3 सिंधु घाटी सभ्यता




स्नेही विद्यार्थियों व शिक्षक साथियों सादर नमस्कार,

कोविड 19 के लाकडाउन में आनलाईन पद्धति से बच्चों व शिक्षकों के विषय ज्ञान को बढ़ावा देने कक्षा 6 वीं विषय सामाजिक विज्ञान (इतिहास) अध्याय  3 सिंधु घाटी सभ्यता को लेकर आनलाईन अध्ययन सामग्री तैयार की गयी है जिसमें पाठ्य पुस्तक सहित पाठ के महत्वपूर्ण बिंदूओं का संग्रह है अंत में 20 प्रश्नों का क्विज भी उपलब्ध है। इसे बच्चों के साथ शिक्षकगण भी कर सकते है। अपना विषय ज्ञान को जरूर जांचे और सभी बच्चों तक इसे पहुंचाये धन्यवाद






(पाठ के महत्वपूर्ण बिंदूओं का अध्ययन करें)

1. सिंधु सभ्यता में मानव नदियों किनारे बसना चाहते थे क्योंकि वहां उन्हें खेती के लिए उपजाउ मिट्टी व पर्याप्त पानी मिलता था।

2. आज से लगभग 4500 साल पहले सिंधु नदी के मैदान में जो सभ्यता विकसित हुई वह सिंधु घाटी की सभ्यता कहलाती है।

3. सिंधु घाटी की सभ्यता के दो प्रमुख शहर हड़प्पा और मोहनजोदड़ों थे।

4. सन् 1921 में सिंधु नदी के किनारे हड़प्पा नामक जगह की खुदाई की गयी वहां से पक्की ईटे, मिट्टी के बर्तन आदि सामान मिली जिससे उस काल की संस्कृति के बारे में पता चला इसलिए इसे हड़प्पा संस्कृति का नाम दिया गया।

5. हड़प्पा और मोहनजोदड़ों वर्तमान पाकिस्तान के पंजाब व सिंध प्रांत में स्थित है। मोहनजोदड़ों की  खुदाई 1922 में श्री राखलदास बनर्जी के नेतृत्व में की गयी थी।

6. सिंधु घाटी की सभ्यता जिसे हड़प्पा संस्कृति भी कहा जाता है यह सभ्यता लगभग 2600 ई.पू. से 1900 ई.पू. तक विकसित रही है।

7. सिंधु सभ्यता का विस्तार अफगानिस्तान, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात व उत्तर प्रदेश तक था।

8. गुजरात में धोलावीरा व लोथल, राजस्थान में कालीबंगा, पंजाब में रोपड़ तथा उत्तर प्रदेश में आलमगीरपुर सिंधु सभ्यता के प्रमुख केन्द्र थे।

9. सिंधु घाटी की सभ्यता की प्रमुख विशेषता सुनियोजित ढंग से बसे नगर, चैड़ी व सीधी समकोण पर काटती पक्की सड़के, नालियां, पक्की ईंटों से बने मकान, आंगन, शौचालय व स्नानागार थी।

10. मोहनजोदड़ों की खुदाई से स्नानागार (स्नान करने का स्थान) प्राप्त हुई थी।

11. हड़प्पा की खुदाई से अन्नागार (अनाज रखने का स्थान) प्राप्त हुई थी।

12. सिंधुवासियों का मुख्य व्यवसाय कृषि था, वे पशुपालन भी करते थे। इनकी प्रमुख फसलें गेहूं, जौ, तिल व कपास थी।

13. सिंधुवासी कुशल कारीगर थे, उन्हे धातुओं का ज्ञान था, वे कांसा, तांबा, पीतल, रांगा व शीशा आदि धातुओं से परिचित थे।

14. सिंधु सभ्यता में कांसा का अत्याधिक प्रयोग हुआ था इसलिए इसे कांस्ययुगीन सभ्यता भी कहते है किंतु इन्हे लोहा का ज्ञान नहीं था।

15. सिंधु घाटी का शहर लोथल में जलमार्ग द्वारा व्यापार होता था। विदेशी व्यापार के लिए मेसोपोटामिया के शहर प्रमुख केन्द्र थे।

16. लोथल को बंदरगाह का नगर भी कहा जाता है। यहां से जहाज से सामान चढ़ाया व उतारा जाता था इस जगह को गोदी कहते थे।

17. सिंधुवासी दूध, मांस, मछली, जौ, तिल, गेहू आदि खाते थे, सूती व उनी वस्त्र पहनते थे। स्त्री व पुरूष दोनों ही श्रृंगार करते थे तथा मनोरंजन के लिए नृत्य व पासे का खेल खेलते थे।

18. सिंधुवासी मातृदेवी, वृक्ष व पशुओं की पूजा करते थे। पीपल उनका पूजनीय वृक्ष था वे मृतकों का अंतिम संस्कार भी करते थे।

19. सिंधुवासियों की लिपि चित्रलिपि थी जो दाई से बाई ओर लिखी जाती थी तथा इस लिपि को आज तक नहीं पढ़ा जा सका है।

20. सिंधु घाटी की सभ्यता का विनाश संभवतः बाढ़ या भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा के कारण होना माना जाता है।

21. लोथल की तरह ही छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में पांडुका गांव के सिरगिट्टी नामक स्थल में पैरी नदी में प्राचीन बंदरगाह के अवशेष मिले है।

अध्ययन सामग्री का अध्ययन करने के उपरांत नीचे दी गयी लिंक पर जाये और क्विज करें-
https://forms.gle/CKHhHJkigQCV267V8
आज 6 जून शनिवार 2020 को पढ़ई तुहर दुआर योजना अंतर्गत मेरे द्वारा ली गयी जिला स्तरीय आनलाईन क्लास का दृश्य









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