The Digital Teacher : एकता, संपन्नता और गौरव का प्रतीक विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र पर्व है भारतीय गणतंत्र दिवस...

एकता, संपन्नता और गौरव का प्रतीक विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र पर्व है भारतीय गणतंत्र दिवस...

                                 
म्माननीय शिक्षकगण, पालकगण और मेरे प्यारे विद्यार्थियों, मैं आप सभी को हमारे 71 वें गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 2020 की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ। हम सब 71 वाँ गणतंत्र दिवस मनाने जा रहे है अर्थात हमारे संविधान को अस्तित्व में आए 71 साल पूरे हो गए। आज के इस पावन मौके पर, मैं उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों को भाव-भीनी श्रध्दांजलि देता हूँ, जिनके कारण हमें यह आजादी नसीब हुई है। साथ ही अपने सेना के महान सैनिकों को प्रणाम करता हूँ जो दिन-रात हमारे देश की बाहरी तत्वों से रक्षा करते हैं। उन्हीं के कारण हम अपने-अपने घरों में आराम से सो पाते हैं।
साथियों पब्लिक या गणतंत्र एक ऐसी व्यवस्था है जिसमे देश लोगों का होता है, सरकार लोगों की होती है। गणतंत्र दिवस भारत का राष्ट्रीय पर्व है इसे सभी धर्मों के लोग समान भाव से मनाते हैं। इसका संबंध किसी धर्म या जाति से न होकर राष्ट्र से होता है इसलिए इसे राष्ट्रीय पर्व कहा जाता है। स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस और गांधी जयंती हमारे राष्ट्रीय पर्व हैं। ये राष्ट्रीय पर्व भारतीय जनमानस को एकता के सूत्र में पिरोते हैं। ये पर्व उन शहीदों देशभक्तों का स्मरण कराते हैं जिन्होंने राष्ट्र की स्वतंत्रता, गौरव और इसकी प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए अपने प्राण की आहुति दे दी। ये वह दिन है जब हर भारतीय के मन में देश भक्ति की लहर और मातृभूमि के प्रति अपार स्नेह व सम्मान जाग उठता है। साथियों हम सबको गर्व होना चाहिए कि भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। हमारे संविधान को बनने में 2 साल 11 महीने और 18 दिन का समय लगा था जिसे बाबा साहब डाक्टर भीम राव अंबेडकर ने बनाया था। भारतीय संविधान दुनिया में सबसे बड़ा लिखित संविधान है। 26 जनवरी 1950 से हमारे देश में एक नये युग का शंखनाद हुआ था। 26 जनवरी का इतिहास के स्वर्ण अक्षरों में नाम अंकित है। इसी दिन 1930 में लाहौर अधिवेशन में कांग्रेस की अध्यक्षता करते हुए पंडित जवाहर लाल नेहरू ने रावी नदी के तट पर पूर्ण आजादी की घोषणा की थी। उन्होने कहा था, आज से हम स्वतंत्र हैं और देश की स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए हम अपने प्राणों को स्वतंत्रता की बलिवेदी पर होम कर देंगे। और हमारी स्वतंत्रता छीनने वाले शासकों को सात समंदर पार भेजकर ही सुख की सांस लेंगे।
                 “भारत माता सबसे प्यारी सबसे ऊँची तेरी शान,
गणतंत्र दिवस पर शीष झुका कर हम करते हैं तुझे प्रणाम”







हर साल 26 जनवरी को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। साथियों 26 जनवरी के दिन सन् 1950 को भारत सरकार अधिनियम (एक्ट 1935) को हटाकर भारत का संविधान लागू किया गया था। 26 जनवरी 1950 को भारत एक गणतंत्र बना। इसी दिन डा.राजेंद्र प्रसाद ने भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। पहली बार बतौर राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद बग्गी पर बैठकर राष्ट्रपति भवन से निकले थे। गणतंत्र दिवस हम सभी भारतीयों के अंदर हर्ष, उल्लास और नवीन चेतना का संचार करता है। देशवासियों को यह संकल्प लेने के लिए भी प्रेरित करता है कि वो अमर शहीदों के बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देंगे और अपने देश की रक्षा, गौरव और उत्थान के लिए सदा समर्पित रहेंगे। 26 जनवरी अवसर है हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को याद करने का मंगल पांडे, लक्ष्मी बाई, भगत सिंह का तिलक करने का और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, गांधी जी, लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक, बिपिन चन्द्र पाल को नमन करने का। यह अवसर है देश के लिए हँसते-हँसते अपनी जान न्योछावर करने वाले जांबाज सिपाहियों का वंदन करने का। 26 जनवरी अवसर है फक्र करने का कि तमाम विविधताओं के बावजूद हम दुनिया के सबसे बड़े गणतंत्र व लोकतंत्र हैं। यह अवसर है सीना तान कर खड़े होने का और गर्व से जन-गण-मन गाने का।
आओ करें प्रतिज्ञा हम सब इस पावन गणतंत्र दिवस पर,
हम सब बापू के आदर्शों को अपनायेंगे नया समाज बनायेंगे
भारत मा के वीर सपूतों के बलिदानों को हम व्यर्थ न जाने देंगे
जाति, धर्म के भेदभाव से उपर उठकर नया समाज बनायेंगे। 






आज का दिन हमारे लिए बहुत खास है। जनता का जनता के द्वारा जनता के लिए शासन की व्यवस्था ही गणतंत्र है। हम भारतवासी देश के महापुरूषों के बलिदान को कभी भी नहीं भुला सकते है। उनके त्याग के कारण ही हम आज अपने देश में आजादी से सांस ले पा रहे है। किंतु आजादी के इतने वर्षों बाद भी हम आज अपराध, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, भुखमरी, जातिवाद, नक्सलवाद जैसे समस्याओं से लड़ रहे है। अब समय आ गया है कि हम सब मिलकर एक स्वस्थ्य समाज का निर्माण करने में अपना योगदान दे। इसकी शुरूआत विद्यालय से ही होनी चाहिए।
शौर्य का इतिहास भारत की भूमि पर पग-पग में अंकित है।
कण कण में सोया शहीद, पत्थर-पत्थर इतिहास है।


यह पर्व हमारी एकता, सम्पन्नता और गौरव का प्रतीक है। जो आजादी हमें इतनी मुश्किलों से मिली है, उसे सहेज कर रखने की जरूरत है। हमें अपने देश की विकास-यात्रा का साथी बन उसे और भी समृध्द बनाना है। मैं अपने देश की भावी पीढ़ी आप सभी विद्यार्थियों से आग्रह करूंगा कि आप अपने अंदर की शक्ति और क्षमता को पहचानें। आप चाहे तो, कुछ भी कर सकते है। देश का भविष्य आप पर ही टिका है। 
“दुआ करों कि मेरा भारत फिर से महान बने।
हर हिंदु विवेकानंद और हर मुसलमान कलाम बने।।“





“करना इतना उपकार प्रभु
मैं जब जब मानव का जन्म पाऊ
मुझे भारत मां की गोद मिले
मैं हिंदुस्तानी कहलाऊ“



इन्हीं शुभेच्छाओं के साथ मैं आप सभी को पुनः शुभकामनाएं प्रेषित करता हूँ ....

                          जय हिन्द, जय भारत, जय छत्तीसगढ़
                                                                                            राजेश कुमार सूर्यवंशी, शिक्षक


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