23 जनवरी 2020 को डिजिटल विद्यालय शा.पूर्व मा.शाला नवापारा (अमोदा) में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 123 वीं जयंती अवसर पर विद्यार्थियों को उनकी जीवनी पर आधारित डाक्यूमेंटरी फिल्म दिखायी गयी। बच्चों में देशभक्ति की भावना जागृत करने यह आयोजन किया गया। डाक्यूमेंटरी फिल्म के बाद एक परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसमें शिक्षकों व बच्चों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम के संयोजक राष्ट्रीय नवाचारी शिक्षक राजेश कुमार सूर्यवंशी ने अपने संबांेधन में बताया कि नेताजी का जन्म 23 जनवरी 1897 में हुआ था। उन्होंने पहले भारतीय सशस्त्र बल की स्थापना की थी जिसका नाम आजाद हिंद फौज रखा गया था। उनके तुम मुझे खून दो मैं, तुम्हें आजादी दूंगा के नारे से भारतीयों के दिलों में देशभक्ति की भावना तेजी से बढ़ी और आज भी उनके इस नारे से हम सभी को प्रेरणा मिलती है। 1920 में उन्होंने सिविल सर्विस परीक्षा इंग्लैंड में पास की थी किंतु इस पद से इस्तीफा देकर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय हुए। वर्ष 1938 और 1939 में वे इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष भी बनें। 1921 से 1941 के दौरान वो पूर्ण स्वराज के लिए कई बार जेल भी गए थे। उनका मानना था कि अहिंसा के जरिए स्वतंत्रता नहीं पाई जा सकती। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने सोवियत संघ, नाजी जर्मनी, जापान जैसे देशों की यात्रा की और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ सहयोग मांगा। इसके बाद जापान में उन्होंने आजाद हिंद फौज की स्थापना की। श्री सूर्यवंशी ने कहा कि इस तरह के आयोजन का उद्देश्य विद्यार्थियों में देशभक्ति व राष्ट्रप्रेम का जज्बा जगाना है। उनकी जयंती अवसर पर उनका स्मरण करते हुए हम सब गर्व का अनुभव कर रहे है। कार्यक्रम को प्रधान पाठक श्री कन्हैया लाल मरावी ने संबोधित करते हुए कहा कि उन्होंने आजाद हिंद रेडियो स्टेशन जर्मनी में शुरू किया और पूर्वी एशिया में भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का नेतृत्व किया। सुभाष चंद्र बोस मानते थे कि भगवत गीता उनके लिए प्रेरणा का मुख्य जरिया थी। जलियांवाला बाग हत्याकांड ने उन्हें इस कदर विचलित कर दिया कि, वे भारत की आजादी की लड़ाई में कूद पड़े। उच्च वर्ग शिक्षक श्री हीरालाल कर्ष ने कहा कि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने सोवियत संघ, नाजी जर्मनी, जापान जैसे देशों की यात्रा की और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ सहयोग मांगा। इसके बाद जापान में उन्होंने आजाद हिंद फौज की स्थापना की। उच्च वर्ग शिक्षक श्री संतोष कुमार श्रीवास ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के समान कोई व्यक्तित्व दूसरा नहीं हुआ, एक महान सेनापति, वीर सैनिक, राजनीति केे अद्भुत खिलाड़ी और अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त नेताओं के समकक्ष बैठकर कूटनीति तथा चर्चा करने वालेे इस विलक्षण व्यक्तित्व के बारे में जितना कहा जाए कम है। हम सबको उनके जीवन से शिक्षा लेनी चाहिए। आयोजन को सफल बनाने में सफाई कर्मचारी श्री साधराम यादव सहित बाल केबिनेट के प्रधानमंत्री राज यादव, उप प्रधानमंत्री कुमारी पूजा यादव, खेल मंत्री करन कुमार, स्वास्थ्य खाद्य एवं स्वच्छता मंत्री कुमारी अंजली, शिक्षामंत्री कुमारी मानसी यादव, वित्त मंत्री कुमारी पूजा कंवर, कानून मंत्री कुमारी नागेश्वरी साहू, उद्योग मंत्री कुमारी नंदनी यादव व पर्यावरण मंत्री कुमारी मंगली केंवट सहित विद्यार्थियों हेमलता, विशेष्वरी, प्रीति, हीना, कामिया, अनिषा, संतोषी, ज्योति, ज्योति यादव, पुष्पा, छठकुमारी, अंजली, दिप्ती, सानिया, प्रभा, ममता, कार्तिक, शरद, विनय, संदीप, विजय, किशन, अनुज, महेन्द्र, रिषी, चन्द्रेश, कमल, राकेश, आरती, देवेश, दीपक, जय, करन, कृतिका, खुशी, लक्ष्मीन, नंदनी, प्रियांशु, राजकुमार, सरोजनी, सविता, सुखसागर, सुमित, सूरज, सोनिया, शंकरलाल, शिवानी, उमेन्द्र, विजय, शंकर, भारती, अभिषेक, अजय, अंकुर, भुवनेश्वरी, गणेश, गरिमा, जयप्रकाश, किरन, प्रदीप, रोशन, रोशनी, शनि, उमा, विजय सहित विद्यार्थियों का सराहनीय योगदान रहा।
नेताजी सुभाषचंद्र बोस जयंती पर डिजिटल स्कूल में बच्चों ने देखी डाक्यूमेंटरी फिल्म ..
मेरे बारे में ...
डिजिटल पाठ्यपुस्तकों और आडियों, विडियों, इन्टरैक्टिव छवियों, मानचित्रों, प्रश्न संग्रहों जैसे ई संसाधनों का उपयोग करते हुए जल व पर्यावरण संरक्षण की वास्तविक गतिविधियों से बच्चों को जोड़ते हुए समय-समय पर शैक्षणिक प्रदर्शनियों, राष्ट्रीय व राज्य स्तर के कार्यशालाओं, प्रतियोगिताओं, अनुसंधान गतिविधियों व आनलाईन कोर्सेस में भाग लेकर विद्यालय की शैक्षणिक गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए प्रयासरत मानव संसाधन व विकास मंत्रालय भारत सरकार (MHRD) के हाथों पुरस्कृत एक राष्ट्रीय नवाचारी शिक्षक हूं। स्वयं के संसाधनों से सरकारी स्कूल को डिजिटल स्कूल में तब्दील करने के बाद अब ICT तकनीकी का उपयोग कर राज्य भर के उत्साही शिक्षकों व विद्यार्थियों के साथ आनलाईन/आफलाईन जुड़कर नित नये नवाचारी गतिविधियों के लिए समर्पित हूं....
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