The Digital Teacher : प्लास्टिक कचरा मुक्त भारत पर डिजिटल विद्यालय ने गांव में निकाली जागरूकता रैली ...

प्लास्टिक कचरा मुक्त भारत पर डिजिटल विद्यालय ने गांव में निकाली जागरूकता रैली ...

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150 जयंती 2 अक्टूबर से पूरे भारत को प्लास्टिक कचरा मुक्त बनाने देशव्यापी अभियान आरंभ होने जा रही है। इसी कड़ी में 1 अक्टूबर मंगलवार को शास. पूर्व माध्य. शाला नवापारा (अमोदा) में प्लास्टिक कचरा मुक्त विद्यालय व गांव के निर्माण के लिए जन जागरूकता अभियान चलायी गयी। इस दौरान विद्यालय प्रागंण में एक ही संकल्प हमारा प्लास्टिक हटाना लक्ष्य हमारा के साथ शपथ ली गयी। इस हेतु 30 सितंबर को सैकड़ों की संख्या में अखबारी कागज से बैग का निर्माण किया गया और जागरूकता रैली के दौरान स्कूली बच्चों ने पालीथिन त्यागने के लिए स्लोगन लिखे तख्तियां हाथों में थामे कर चलते हुए हर घर के दरवाजे पर पहुंचकर लोगों से पालीथिन एकत्र किये और उसके बदले कागज से तैयार थैले भेंटकर प्लास्टिक को हमेशा के लिए त्यागने की अपील की। अभियान के तहत गांव के गणमान्य नागरिकों के साथ गांव भ्रमण कर हर घर से पालीथिन कचरा संग्रह किया गया। प्लास्टिक त्यागने व कागज के थैले अपनाने के लिए लोगों से अपील करते हुए उन्हे विद्यालय में बच्चों द्वारा तैयार कागज के थैले भेंट किये गये। जागरूकता रैली उपरांत डिजिटल कक्ष में प्लास्टिक कचरा मुक्त भारत विषय पर निबंध, वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया और समुदाय के लोगों के साथ प्लास्टिक से पर्यावरण व मानव जीवन को होने वाले नुकसान पर आधारित डाक्यूमेंटरी फिल्म देखी गयी। कार्यक्रम के संयोजक राष्ट्रीय नवाचारी शिक्षक राजेश कुमार सूर्यवंशी ने बताया कि हमारा विद्यालय पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध शैक्षणिक नवाचारी गतिविधियों का केन्द्र जिले का प्रथम सरकारी डिजिटल विद्यालय है जहां विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ-साथ देश व समाज हित में समर्पित रहने की गतिविधि करायी जाती है। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि पूरे देश भर में पालीथिन प्रदूषण की समस्या में दिनों दिन बढ़ोतरी होती जा रही है। पालीथिन के कारण पानी से लेकर हवा और भूमि सभी प्रदूषित हो रहे हैं। हम सबको पालीथिन त्यागने के बारे में गंभीरता से सोचना होगा और व्यक्तिगत रूप से भी अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करना पड़ेगा, तभी यह धरती सुरक्षित रह सकती है। स्पष्ट रूप से हमें इस दिशा में और अधिक गंभीरता के साथ कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने सार्वजनिक कार्यक्रमों में खाने पीने के लिए उपयोग की जाने वाली प्लास्टिक व थर्माकोल से बनी प्लेटों को भी त्यागने व उसकी जगह स्थानीय स्तर पर तैयार होने वाले पत्तों से बने दोने और पत्तलों का उपयोग करने की अपील की। प्रधान पाठक कन्हैया लाल मरावी ने कहा कि हम सब प्लास्टिक से बनी हुई ऐसी वस्तुओं के इस्तेमाल से बचें जिन्हें एक बार इस्तेमाल में लिए जाने के बाद फेंकना पड़े और प्लास्टिक की जगह कपड़े, कागज और जुट से बने थैलों का इस्तेमाल करें। उच्च वर्ग शिक्षक हीरालाल कर्ष ने कहा कि जब भी आप कोई वस्तु खरीदने जाए तो फिर से कपड़े का थैला अपने साथ लेकर जाएं जिससे कि आपको प्लास्टिक की थैलियों में सामान नहीं लाना पड़े। संतोष श्रीवास ने अपने संबोधन में कहा कि प्लास्टिक का पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव जंतुओं के साथ साथ अन्य जीवन के लिए जरूरी घटकों पर भी इसका बहुत ज्यादा दुष्प्रभाव पड़ रहा है हमें इसे त्यागने का संकल्प करना चाहिए।
प्लास्टिक कचरा- खतरे की घंटी 
दशकों पहले लोगों की सुविधा के लिये प्लास्टिक का आविष्कार किया गया लेकिन धीरे-धीरे यह अब पर्यावरण के लिये ही नासूर बन गया है। प्लास्टिक और पालीथीन के कारण पृथ्वी और जल के साथ-साथ वायु भी प्रदूषित होती जा रही है। हाल के दिनों में मीठे और खारे दोनों प्रकार के पानी में मौजूद जलीय जीवों में प्लास्टिक के केमिकल से होने वाले दुष्प्रभाव नजर आने लगे हैं। इसके बावजूद प्लास्टिक और पॉलीथीन की बिक्री में कोई कमी नहीं आई है। 
कैसे करें प्लास्टिक समाप्त करने की आदतों का विकास-
प्लास्टिक से बनी हुई ऐसी वस्तुओं के इस्तेमाल से बचें जिन्हें एक बार इस्तेमाल में लिए जाने के बाद फेंकना पड़े और प्लास्टिक की जगह कपड़े, कागज और जुट से बने थैलों का इस्तेमाल करें। जब भी आप कोई वस्तु खरीदने जाए तो फिर से कपड़े का थैला अपने साथ लेकर जाएं जिससे कि आपको प्लास्टिक की थैलियों में सामान नहीं लाना पड़े। दुकानदार से सामान खरीदते वक्त उसे कहें कि कपड़े या कागज से बनी थैलों में ही समान दे। इसी तरह से खाने की वस्तुओं के लिए स्टील या फिर मिट्टी के बर्तनों को प्राथमिकता दें। स्कूलों में विद्यार्थियों को प्लास्टिक के दुष्प्रभाव के बारे में निबंध लिखवाने चाहिए इस पर वाद-विवाद प्रतियोगिता होनी चाहिए जिससे कि विद्यार्थियों को पता चल सके की प्लास्टिक हमारे जीवन के लिए कितना हानिकारक है जिससे कि वह बचपन से ही कम से कम प्लास्टिक का इस्तेमाल करने लगेंगे।
प्लास्टिक से होने वाले दुष्प्रभाव- 
प्लास्टिक का पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव जंतुओं के साथ साथ अन्य जीवन के लिए जरूरी घटकों पर भी इसका बहुत ज्यादा दुष्प्रभाव पड़ता है। प्लास्टिक एक धीमे जहर का काम कर रहा है यह मानव के जीवन में इस तरह से घुल चुका है कि मानव ना चाहते हुए भी इसका उपयोग कर रहा है। प्लास्टिक से ऐसे जहरीले पदार्थ निकलते है कि वह धीरे-धीरे मानव स्वास्थ्य को खराब करते है। प्लास्टिक को बनाने के लिए कई जहरीले केमिकल काम में लिए जाते है जिसके कारण यह जहां भी पड़ा रहता है धीरे-धीरे वहां पर बीमारियों और प्रदूषण को जन्म देता है। मानव द्वारा प्लास्टिक का उपयोग अपनी सहूलियत के लिए किया जाता है। एक प्लास्टिक का बैग है अपने वजन से कई गुना ज्यादा वजन उठा सकता है और इसको कहीं पर भी ले जाया जाना आसान होता है। मानव ने जिस प्रकार तरक्की की है मानव उतना ही आलसी होता जा रहा है। जिसके कारण वह कहीं पर भी जब भी वस्तु खरीदने जाता है तो वह घर से कपड़े, कागज या जुट का थैला नहीं लेकर जाता है। जिसके कारण सामान बेचने वाले विक्रेता मजबूरी में पालिथीन की बेगों में लोगों को समान देते है जिस कारण प्लास्टिक का उपयोग बहुत मात्रा में बढ़ गया है। और आजकल तो फास्ट फूड का जमाना है तो लोग रास्ते में चलते ही खाना पसंद कर रहे हैं और यह खाना भी उन्हें प्लास्टिक की थेलियों में ही दिया जाता है। आजकल हर वस्तु ऐसे ही लिपटी हुई आती है।
विद्यालय या व्यक्ति नहीं हर नागरिक का हो दायित्व
कार्यक्रम के संयोजक राजेश कुमार सूर्यवंशी ने कहा कि प्लास्टिक एक ऐसी वस्तु है जो सड़ती गलती नहीं है व सैकड़ों वर्ष तक नष्ट नहीं होती। समुद्र में हर चीज कुछ समय बाद गल कर नष्ट हो जाती है, किंतु प्लास्टिक एक ऐसी चीज है जो समुद्र में भी सैकड़ों वर्ष तक भी नष्ट नहीं होती। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह हमारे पर्यावरण के लिए कितनी अधिक घातक है। ऐसे में इसके त्याग करने का यह महत्वपूर्ण कार्य किसी एक व्यक्ति या संस्था का नहीं, बल्कि सभी का सामूहिक कर्तव्य है। यदि हमें अपने पर्यावरण को संरक्षित रखना है, जलवायु को बचाना है, भावी पीढ़ी को सुरक्षित भविष्य देना है तो इस दिशा में संपूर्ण इच्छाशक्ति के साथ अपनी सहभागिता सुनिश्चित करनी होगी।
        उत्साह के साथ ग्रामीणों ने जागरूकता रैली में निभायी सहभागिता
पालीथिन जागरूकता रैली को लेकर ग्राम पंचायत सरपंच प्रतिनिधि श्री दिलीप कुमार यादव सहित शाला प्रबंधन समिति के अध्यक्ष श्रीमती सावित्री बाई चौहान, श्री शांति लाल साहू, श्री रंगलाल, श्री फिरत, श्री जीवन लाल, श्री गौरीशंकर, श्रीमती अनिता बाई, श्रीमती रूपा बाई, श्रीमती मालती बाई, श्री डुग्गूदास, श्री पुरूषोत्तम साहू, श्री रामरतन, श्रीमती लक्ष्मीन चौहान, श्रीमती साधमती, श्री कृष्ण कुमार यादव, श्री फगनी बाई, श्री बहोरन साहू, श्रीमती संतोषी, श्रीमती गणेशी बाई, श्रीमती कांति बाई, श्री मंगतू, श्रीमती इतवारा बाई, श्री रवि, श्री लतेल, श्री अमृत, श्री मीलू साहू, श्री विजय यादव सहित विद्यालय के स्टाफ प्रधान पाठक श्री कन्हैया लाल मरावी, श्री हीरालाल कर्ष, श्री संतोष कुमार श्रीवास, श्री साधराम यादव, श्री राजेश कुमार सूर्यवंशी, श्री अनंदराम सिदार, श्री ज्ञानसिंह कंवर सहित शाला प्रबंधन समिति व समस्त विद्यार्थियों का सराहनीय योगदान रहा।
बाल केबिनेट के सदस्यों ने की जागरूकता रैली की अगुवानी-
बाल केबिनेट के प्रधानमंत्री राज यादव, उप प्रधानमंत्री कुमारी पूजा यादव, खेल मंत्री करन कुमार, स्वास्थ्य खाद्य एवं स्वच्छता मंत्री कुमारी अंजली, शिक्षामंत्री कुमारी मानसी यादव, वित्त मंत्री कुमारी पूजा कंवर, कानून मंत्री कुमारी नागेश्वरी साहू, उद्योग मंत्री कुमारी नंदनी यादव व पर्यावरण मंत्री कुमारी मंगली केंवट सहित विद्यार्थियों हेमलता, विशेष्वरी, प्रीति, हीना, कामिया, अनिषा, संतोषी, ज्योति, ज्योति यादव, पुष्पा, छठकुमारी, अंजली, दिप्ती, सानिया, प्रभा, ममता, कार्तिक, शरद, विनय, संदीप, विजय, किशन, अनुज, महेन्द्र, रिषी, चन्द्रेश, कमल, राकेश, आरती, देवेश, दीपक, जय, करन, कृतिका, खुशी, लक्ष्मीन, नंदनी, प्रियांशु, राजकुमार, सरोजनी, सविता, सुखसागर, सुमित, सूरज, सोनिया, शंकरलाल, शिवानी, उमेन्द्र, विजय, शंकर, भारती, अभिषेक, अजय, अंकुर, भुवनेश्वरी, गणेश, गरिमा, जयप्रकाश, किरन, प्रदीप, रोशन, रोशनी, शनि, उमा, विजय ने जागरूकता रैली की अगुवानी की।








































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