The Digital Teacher : विश्व हिंदी दिवस 14 सितंबर 2017 पर कवियों के गीत, गजल, कविता व व्यंग्य से विद्यार्थी हुए सराबोर

विश्व हिंदी दिवस 14 सितंबर 2017 पर कवियों के गीत, गजल, कविता व व्यंग्य से विद्यार्थी हुए सराबोर

14 सितंबर 2017 विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर नवागढ़ ब्लाक के शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला नवापारा अमोदा में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें कवियों ने जहां हास्य-व्यंग्य की रचनाओं से विद्यार्थियों का भरपूर मनोरंजन किया तो वहीं हिंदी कविता, गीत, गजल सहित राष्ट्रभक्ति, देशप्रेम के भाव से भरे अपनी रचनाओं से बच्चों को प्रेरित किया। इसके अलावा कवियों ने देश व समाज के ज्वलंत समस्या, प्रदूषण, अव्यवस्थाओं, आतंकवाद पर रचना प्रस्तुत किये। आयोजन के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय कवि संगम के जिलाध्यक्ष सुरेश पैगवार रहे, अध्यक्षता दिनेश चतुर्वेदी सचिव राष्ट्रीय कवि संगम ने किया वही विशिष्ट अतिथि के रूप में कवि अश्वनी नौरंगे भ्रमर जैजैपुर व उमाकांत टैगोर रहे। कार्यक्रम का आरंभ वीणापाणि मां सरस्वती के तैल चित्र पर धूप दीप प्रज्जवलित कर किया गया जिसके बाद युवा कवि टैगोर ने “जय देवी शारदे मां“ गीत से कविता पाठ आरंभ किया। इसके बाद उन्होंने अपनी कविता “अनपढ़ कोई ना रह पाये ज्ञान का ऐसा दीप जलाये, हम सदा ही बढ़ते जाये आलस ना मन को भटकाये“ से सबका मन मोह लिया। बाहरी परदेश कमाने खाने जाने वालों पर उनकी कविता “झन छूटय कभू प्रीत के डोर, सुघर रहय हमर गांव गली खोर ने खूब तालिया बटोरी। जैजैपुर क्षेत्र से पहुंचे कवि अश्वनी नौरंगे भ्रमर ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं पर अपनी छत्तीसगढ़ी कविता से बालिका शिक्षा पर बल दिया। इसके बाद युवा कवि दिनेश चतुर्वेदी ने एक से बढ़कर एक शिक्षाप्रद गीत कविता पाठ किये, उन्होंने अपनी रचना “रात सपने में बापू आये बोले ये क्या हो रेला है, मैंने कहा पूरा देश रो ले रहा है।“ “सही गलत को कहना सीख, इस दुनिया में रहना सीख, रिश्ते बहुत नाजुक होते है इस दूजे को सहना सीख“ “अब कहा मौत के तूफान से डर लगता है“, “न्याय मिलता नहीं अब यहां बिन पैसों के“, मिटेगी दूरिया दिल की खोलकर द्वार तुम देखों, भरेगा दामन खुशियों से हसाकर यार तुम देखों, जो नफरत बाटते उनको यहा नफरत ही मिलता है। मिलेगा प्यार तुमको भी लुटाकर प्यार तुम देखों। “कलयुग का जमाना है दूध में मलाई नहीं है लूटपाट झगड़ा मचा है आदमी में भलाई नहीं है इस रोग से टूट रहे सब रिश्ते नाते दोस्ती यारी सबकी है दवाई मगर शक की कोई दवाई नहीं है“ जैसी कविता पाठ से सबका मन मोह लिया।


युवा कवि सुरेश पैगवार ने हा मैं कोरा कागाज हू मुझ पर कुछ पयाम लिखो लिख सको रामायण लिखना, गीता बाइबल कुरान लिखों, हा मैं कोरा कागज हू मुझ पर पयाम लिखों से कविता पाठ की शुरूआत की। उन्होंने बच्चों को सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि दौर मुश्किल है तो चलो हम ही सरल बन जाये, प्यास अगर है तो चलों हम ही तरल बन जाये। कार्यक्रम का संचालन शिक्षक पंचायत राजेश कुमार सूर्यवंशी ने तथा आभार प्रदर्शन उच्च वर्ग शिक्षक हीरालाल कर्ष ने किया। आयोजन के संबंध में शिक्षक पंचायत राजेश कुमार सूर्यवंशी ने बताया कि 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से निर्णय लिया कि हिंदी ही भारत की राजभाषा होगी। इसी महत्वपूर्ण निर्णय के चलते सन् 1953 से संपूर्ण भारत में 14 सितंबर को प्रतिवर्ष हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी परिप्रेक्ष्य में विद्यार्थियों में इस दिवस के महत्व तथा हिंदी के प्रति रूझान बढ़ाने यह आयोजन किया गया। आयोजन को सफल बनाने में शाला प्रबंधन समिति अध्यक्ष सोनाराम साहू, प्रधान पाठक कन्हैया लाल मरावी, संतोष कुमार श्रीवास, हीरालाल कर्ष, अजीम प्रेमजी फाउण्डेशन सदस्य अनुज सिद्धार्थ, साधराम यादव सहित विद्यार्थियों का सराहनीय योगदान रहा।




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