The Digital Teacher : शिक्षकों में सीखने सिखाने की प्रक्रिया को बढ़ावा दे रही अजीम प्रेमजी फाउण्डेशन

शिक्षकों में सीखने सिखाने की प्रक्रिया को बढ़ावा दे रही अजीम प्रेमजी फाउण्डेशन


अजीम प्रेमजी फाउण्डेशन के विद्वान अकादमिक सदस्यों के साथ जांजगीर-चांपा जिले के नवागढ़ और पामगढ़ ब्लाक के सरकारी प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक-शिक्षिकाओं का विषय आधारित आवासीय प्रशिक्षण 14 मई से आरंभ होकर 26 मई तक संपन्न हुआ। पहले चरण में 14 से 18 मई तक जबकि द्वितीय व अंतिम चरण में 22 से 26 मई तक बिलासपुर कोनी स्थित आधारशिला विद्या मंदिर के प्राकृतिक वातावरण के अलग-अलग समूहों में पर्यावरण, गणित, भाषा व विज्ञान विषयों पर सीखने सिखाने का बेहतर अवसर प्राप्त हुआ।  कार्यशाला की शुरूआत विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी नवागढ़ श्री जे.के. बावड़े व सहा. वि.ख. शिक्षा अधिकारी श्री आर.एन.शर्मा के उद्बोधन से हुआ जहां श्री बावड़े ने भारत के बिल गेट्स कहे जाने वाले अजीम हाशिम प्रेमजी के जीवनी व उनके समाज पर योगदान पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डाला। उन्होंने अपील किया कि सीखे हुए ज्ञान को बच्चों तक जरूर पहुंचाये तभी हमारा सीखना सार्थक होगा। विज्ञान पढ़ाना तभी सार्थक होगा जब हम बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास कर सके, हम विज्ञान की कक्षा में कल्पना नहीं बल्कि परिकल्पना, प्रयोग, अवलोकन, विश्लेषण और निष्कर्ष जैसे कौशलों का प्रयोग करें और बच्चों को इन कौशलों में दक्ष करें। आज विज्ञान की कक्षा में रचनात्मकता लाने की दिशा में सामूहिक प्रयास की महती आवश्यकता है। अजीम प्रेमजी फाउण्डेशन के 5 दिवसीय विषय आधारित कार्यशाला के विज्ञान विषय की पहले दिन की शुरूआत फाउण्डेशन के वरिष्ठ और अनुभवी श्री सुभाष जी के इस प्रेरणादायी चर्चा के साथ शुरूआत हुई। द्वितीय दिवस 23 मई को विज्ञान समूह के हमारे शिक्षक साथियों सहित फाउण्डेशन के अनुभवी सदस्यों के साथ हमने पौधों के वर्गीकरण पर काम किया, समूह कार्य, गतिविधि और प्रदर्शन से एक बीजपत्री, द्विबीजपत्री पौधों पर गहरी समझ बनी। विज्ञान की छोटी छोटी गतिविधियों को बच्चों के साथ करते रहने से उनमें जिज्ञासा बढ़ती है वे स्वयं सवाल बनाते है और करते है, हमें उन्हे उनके परिकल्पना को जांचने अवलोकन करने निष्कर्ष निकालने और उससे किसी सिद्धांत तक पहुंचने के कौशलों का विकास करने में सहभागी बनना पड़ेगा। तीसरे दिवस 24 मई को हम सभी ने मिलकर ग्राफ बनाने, अवलोकनों का प्रेक्षण लेने तथा गणितीय गणना करने के कौशलों पर विज्ञान समूह के शिक्षकों ने काम किया, पैराशूट बनाया और उंचाई से उसे गिराकर परिकल्पना से निष्कर्ष तक पहुंचे और सिद्धांतों की जांच हुई। एक शिक्षक के नाते हमारी सबसे पहली जवाबदेही अपने स्कूली बच्चों के प्रति है न कि सहकर्मी और अफसरों के, हमारा अस्तित्व इसीलिए है कि हमारे विद्यालय में बच्चे है यदि ये नहीं तो हमारी क्या उपयोगिता होगी? इस तरह की समझ के साथ चतुर्थ दिवस 25 मई के प्रथम सत्र में जहां हम सबने एडवर्ड जेनर द्वारा टीका की खोज संबंधी गतिविधियों पर चित्र चार्ट की गतिविधियां करके यह समझने का प्रयास किया कि किसी खोज के लिए वैज्ञानिक किन प्रक्रियाआंे से होकर गुजरते है और समाज विज्ञान को किस तरह से प्रभावित करता है तो वही द्वितीय सत्र में रसायनिक अभिक्रियाओं को समझने उदासीनीकरण अभिक्रिया पर अम्ल, क्षार व लवण के साथ काम करके अपनी समझ बनाया। अंतिम 5 वें दिवस 26 मई को हम सबने प्रकाश संश्लेषण, कोशिका, श्वसन जैसे बिंदूओं पर व्यापक चर्चा परिचर्चा, विडियो प्रदर्शन के माध्यम से अपनी समझ बनायी। कार्यशाला के अंतिम दिवस 26 मई को शिक्षक साथियों से रूबरू होने और अनुभव बांटने पर बात हुई, इस दौरान मैंने कई महत्वपूर्ण बिंदूआंे पर अपनी बात रखी किंतु सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि सीखने सिखाने की इस प्रक्रिया को सतत रूप से जारी रखने हम सभी शिक्षक फाउण्डेशन के जांजगीर स्थित शिक्षक अधिगम केन्द्र (टीचर लर्निंग सेंटर-टी.एल.सी.) से जुड़े और अपनी बेहतरी के लिए कार्य करें। श्री सुभाष गोस्वामी जी, श्री रवि सिंह, श्री विवेक सिंह, श्री नीरज राणा, श्री नवनीत वर्मा, श्री अजय कुमार विश्वकर्मा, कुमारी सारिका, कुमारी मारिया, कुमारी अर्चना, राजेश जी, कपिलदेव जी रायगढ़ सहित अजीम पे्रमजी फाउण्डेशन के तमाम अकादमिक सदस्यों के कुशल मार्गदर्शन में विज्ञान विषय के इस आवासीय प्रशिक्षण में मुझे 15 शिक्षक-शिक्षिकाओं के साथ प्रभावी ढंग से सीखने सिखाने में बड़ा सहयोग मिला जिनमें श्री आर.के. द्विवेदी संकुल प्रभारी धुरकोट, श्री के.के. सिंह पूर्व मा.शाला भैसदा अमोदा, श्री गिरधर निराला संकुल प्रभारी नवागढ़, श्रीमती गीता लहरे पूर्व मा.शाला पीथमपुर अमोदा, श्रीमती अनिता धु्रवे पूर्व मा.शाला धाराशिव खोखरा, श्रीमती मीनाक्षी चतुर्वेदी पूर्व मा.शाला बोड़सरा सिवनी, श्री अनिल टण्डन पूर्व मा.शाला उदयभाठा नवागढ़, श्री संजय सिंह राठौर पूर्व मा.शाला अमोरा अवरीद, श्री सुनील कुमार श्रीवास पूर्व मा.शाला बरगांव किरीत, श्री संजय कुमार वर्मा पामगढ़, श्री नरोत्तम लाल कुर्रे पूर्व मा.शाला जगमहंत अवरीद, श्री डेमन पाण्डेय पूर्व मा.शाला मौहाडीह अमोदा, श्री महेश्वर पुरी गोस्वामी पूर्व मा.शाला बनारी गौशाला नैला, श्री हेतराम कुर्रे पूर्व मा.शाला खरखोद पामगढ़ श्री दिलीप यादव पूर्व मा.शाला कन्या नवागढ़ शामिल रहे। कार्यशाला के दौरान डाइट जांजगीर की प्राचार्य श्रीमती सविता राजपूत व सहा.प्राध्यापक श्री यू.के. रस्तोगी जी भी पहुंचे और शिक्षकों से रूबरू हुए, उन्होंने जल्द ही इसी तर्ज पर डाइट में बेहतर ढंग से प्रशिक्षण आयोजित करने की बात कही और सभी से आग्रह किया कि इस सीखने सिखाने की प्रक्रिया को कक्षा तक ले जाये और बच्चों को इसका लाभ दे। इस पांच दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण में शिक्षकों को न केवल शैक्षणिक गतिविधियों से जोड़ा गया अपितु सांस्कृतिक गतिविधियों की श्रृंखला से भी जोड़ते हुए उनकी छुपी हुई सांस्कृतिक प्रतिभा को उभारने उन्हे मंच प्रदान किया गया और कानन पेण्डारी जैसे वन्य जीव अभ्यारण का अवलोकन भ्रमण करने का अवसर भी दिया गया, कुल मिलाकर पूरा आयोजन सीखने सिखाने के लिए एक बेहतर और समृद्ध माहौल बना, यह माहौल आगे भी जारी रहे बना रहे इसके लिए हम सबको इस संस्थान की गतिविधियों से जुड़े रहने की जरूरत होगी ...
(मेर इस पोस्ट को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। इस पोस्ट के बारे में अपनी राय साझा करिए। अपने नाम के साथ अपनी टिप्पणी कमेंट बाक्स में लिख सकते हैं। शिक्षा से जुड़े कोई सवाल, सुझाव या लेख आपके पास हों तो मुझे जरूर साझा करें। मैं उसे अपने ब्लाग पर लेने का प्रयास करूंगा ताकि अन्य शिक्षक साथी भी इससे लाभान्वित हो सकें।)          

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